सरकार देश में कालेधन पर रोक लगाने और डिजिटल माध्यम से लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नकद लेन-देन या भुगतान की सीमा को कम करने पर जोर देती रही है. हाल में एक तय सीमा से अधिक कैश भुगतान को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने लोगों के लिए चेताया भी था. आयकर कानून के तहत नकद लेन-देन की जो अधिकतम सीमा तय की गई है, उससे अधिक का भुगतान अगर आप कैश में करते हैं तो आपको परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है.

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नकद भुगतान को लेकर मौजूदा कानून

सरकार की तरफ से तय की गई सीमा के मुताबिक, आप 2 लाख रुपये से अधिक राशि का भुगतान कैश या नकद में नहीं कर सकते. आप अपने नजदीकी रिश्तेदार या पति/पत्नी से भी एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद में नहीं ले सकते. इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोई सामान आप तीन लाख रुपये में खरीद रहे हैं तो आपको इसके लिए बैंक के माध्यम से ही भुगतान करना होगा. अगर आप 3 लाख रुपये अलग-अलग टुकड़ों में दो-तीन  दिन के भीतर देना चाहते हैं तो उसकी भी अनुमति नहीं होगी. सिर्फ शादी-विवाह के मामले में अगर अलग-अलग दुकान से जूलरी खरीदी जाती है तो इस सीमा में राहत दी जा सकती है. अगर दुकानदार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे आयकर विभाग लेन-देन की रकम के बराबर जुर्माना देना पड़ सकता है.

कर्ज और भुगतान

नकद लेन-देन के रूप में कर्ज लेने पर भी नियम बनाए गए हैं. कर्ज की स्थिति में मात्र 20000 रुपये तक नकद में लेन-देन कर सकते हैं. इससे अधिक के कर्ज के लिए बैंक का माध्यम ही चुनना होगा. इसी तरह कर्ज को वापस करने में भी समान नियम लागू होते हैं. 

संपत्ति की खरीद-बिक्री

अचल संपत्ति के मामले में नकद लेन-देन की सीमा काफी कम है. नियमों के मुताबिक, अचल संपत्ति के मामले में कर कानूनों के तहत 20,000 रुपये से अधिक नकद लेन-देन की अनुमति नहीं दी गई है. अगर किसी अचल संपत्ति के लिए पेशगी ली जा रही है तो इसमें भी नकदी वाला नियम ही लागू होगा. जानकारों का कहना है कि कि जायदाद कालेधन का सबसे बड़ा माध्यम है. 

व्यापार संबंधी खर्च

अगर आप कारोबार करते हैं तो इस मद में खर्च के लिए प्रत्येक दिन और प्रत्येक लेन-देन के लिए 10,000 रुपये की नकद सीमा रखी गई है. अगर कोई कारोबारी निर्धारित सीमा से अधिक कैश देता है तो वह आईटीआर दाखिल करते समय इसे खर्च के रूप में दिखा टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकता.

टैक्स सेविंग स्कीम

अगर आप इनकम टैक्स में बचत का फायदा लेना चाहते हैं तो स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम कभी भी कैश में जमा न करें. बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, आयकर कानून के मुताबिक अगर बीमा का प्रीमियम नकद में चुकाया है तो धारा 80डी के तहत टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलेगा. विशेषज्ञों की सलाह है कि प्रीमियम हमेशा बैंक के जरिये ही जमा कराना चाहिए.

कैश पाने वाले पर गिरेगी गाज

अधिकांश मामलों में जो व्यक्ति कैश में भुगतान ले रहा है, उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह नकद में भुगतान न ले. ऐसे में अगर किसी तरह का जुर्माना लगता है तो उसे भरने की जिम्मेदारी उसी की होगी. टैक्स सलाहकार का कहना है कि कैश में पैसे न लेने की जिम्मेदारी पैसा पाने वाले की है क्योंकि नकद भुगतान करने वाला व्यक्ति मुकर भी सकता है.