आज के समय में महंगाई इतनी ज्‍यादा है कि आप कोई भी काम करने जाते हैं तो आपको अच्‍छी खासी रकम की जरूरत पड़ती है. इन स्थितियों के बीच मिडिल क्‍लास लोगों के लिए सबकुछ अपनी कमाई से कर पाना आसान नहीं होता. लिहाजा मकान, गाड़ी जैसी तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिए वो बैंक से लोन लेते हैं. लोन से उनका काम भी हो जाता है और हर महीने ब्‍याज समेत उनकी किस्‍त उनके अकाउंट से कटती रहती है. लेकिन मान लीजिए कि आपने होम लोन लिया और आपके सामने कोई ऐसी परिस्थिति आ गई कि आप लोन की किस्‍त नहीं दे पा रहे हैं. ऐसे में आपका क्‍या-क्‍या नुकसान हो सकता है,क्‍या आपको इस बात का कोई अंदाजा है? नहीं, तो जान लीजिए-

सबसे पहले बैंक आपको भेजता है रिमाइंडर

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अगर आप लोन की दो ईएमआई नहीं देते हैं, तो बैंक सबसे पहले आपको रिमाइंडर भेजता है. अगर आप अपने होम लोन की लगातार तीन किस्तों का भुगतान करने से चूक जाते हैं, तो बैंक आपको ऋण चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है. मगर चेतावनी के बाद भी अगर आपने ईएमआई पूरी नहीं कीं तो बैंक की तरफ से आपको डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा.

क्रेडिट स्‍कोर पर पड़ता है असर 

अगर आप समय से लोन नहीं चुकाते हैं तो इसका असर आपके क्रेडिट स्‍कोर पर पड़ता है और आपका रिकॉर्ड खराब हो जाता है. क्रेडिट स्‍कोर के आधार पर ही तमाम बैंक ये‍ निर्णय लेते हैं कि व्‍यक्ति को लोन देना चाहिए या नहीं और किस ब्‍याज दर पर देना चाहिए. अगर  लोन न चुकाने के कारण आपका क्रेडिट स्‍कोर बिगड़ गया, तो भविष्‍य में आपको आसानी से लोन नहीं मिलेगा.अगर किसी तरह जुगाड़ से आपने लोन ले भी लिया तो आपको सख्‍त नियमों और शर्तों के साथ ऊंची ब्‍याज दरों पर लोन मिलेगा.

खतरे में आ जाती है गिरवी संपत्ति

जब भी आप होम लोन या कोई भी सिक्‍योर्ड लोन लेते हैं तो बैंक उसके बदले में आपकी प्रॉपर्टी को गिरवी रखवाता है. होम लोन में अधिकतर लोग उसी प्रॉपर्टी के कागज बैंक में जमा कराते हैं, जिसको खरीदने के लिए वो लोन लेते हैं. जब तक लोन की भरपाई नहीं होती, तब तक प्रॉपर्टी के कागज बैंक के पास ही रहते हैं. अगर व्‍यक्ति लोन न चुका सके तो बैंक को ये अधिकार होता है कि वो उस प्रॉपर्टी को बेचकर लोन की भरपाई कर सके. ऐसे में आपकी गिरवी रखी संपत्ति खतरे में आ जाती है. बैंक आपकी गिरवी रखी प्रॉपर्टी पर कब्‍जा कर सकता है. ये बैंक का अधिकार है.

आखिरी विकल्‍प होता है नीलामी

बैंक की तरफ से लोन लेने वाले को लोन को चुकाने के लिए काफी समय दिया जाता है. लेकिन अगर लोन लेने वाला व्यक्ति फिर भी कर्ज नहीं चुका पाता है, तो बैंक उसे रिमाइंडर और नोटिस भेजता है. इसके बाद भी अगर ऋण लेने वाला व्‍यक्ति लोन का भुगतान नहीं करता, तब बैंक उसकी प्रॉपर्टी को कब्‍जे में लेता है और इसके बाद नीलामी करता है. यानी लोन चुकाने के लिए बैंक कई मौके देता है, फिर भी न चुकाने पर प्रॉपर्टी की नीलामी करके लोन की रकम की भरपाई की जाती है.

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