Senior Citizens Savings Scheme: रिटायरमेंट पर सीनियर सिटीजंस को एकमुश्‍त काफी पैसा मिलता है. इस पैसे को अगर बैंक अकाउंट में छोड़ दिया तो धीरे-धीरे खर्च हो जाएगा. बेहतर है कि इस पैसे को आप किसी ऐसी स्‍कीम में निवेश कर दें, जहां पर आपको तगड़ा मुनाफा मिले. अगर ऐसा खयाल आपके भी दिमाग में है तो एक बार आपको पोस्‍ट ऑफिस की वरिष्‍ठ नागरिक बचत योजना ( Post Office Senior Citizen Savings Scheme) के बारे में जरूर विचार करना चाहिए. बुजुर्गों को इस स्‍कीम में अच्‍छा खासा ब्‍याज दिया जाता है. यहां जानिए इस स्‍कीम से जुड़ी जरूरी बातें.

8.2% मिल रहा है ब्‍याज

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पोस्‍ट ऑफिस की वरिष्‍ठ नागरिक बचत योजना एक डिपॉजिट स्‍कीम है. इसमें 5 साल के लिए एक निश्चित रकम डिपॉजिट की जाती है. वरिष्‍ठ नागरिक इस स्‍कीम में अधिकतम 30,00,000 रुपए तक निवेश कर सकते हैं, वहीं न्‍यूनतम निवेश की सीमा 1000 रुपए है. मौजूदा समय में SCSS पर 8.2 फीसदी के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. 

ऐसे मिलेगा ₹12,30,000 का ब्‍याज

जैसा कि हमने आपको बताया कि इस स्‍कीम में अधिकतम 30,00,000 रुपए तक जमा कर सकते हैं. अगर आप इतनी रकम को इस स्‍कीम में निवेश करते हैं तो 5 सालों में 8.2% के हिसाब से आपको 12,30,000 रुपए का ब्‍याज मिलेगा. हर तिमाही पर ₹61,500 ब्‍याज के तौर पर क्रेडिट होंगे. इस तरह 5 साल बाद आपको कुल ₹42,30,000 मैच्‍योरिटी अमाउंट के तौर पर मिलेंगे.

वहीं अगर आप इस स्‍कीम में 15 लाख रुपए 5 साल के लिए जमा करते हैं तो मौजूदा ब्‍याज दर 8.2 फीसदी के हिसाब से आपको 5 सालों में ₹6,15,000 सिर्फ ब्‍याज के तौर पर मिलेंगे. तिमाही आधार पर ब्‍याज की गणना करें तो हर तीन महीने में ₹30,750 ब्‍याज मिलेगा. इस तरह 15,00,000 और ब्‍याज की रकम 6,15,000 को जोड़कर कुल 21,15,000 रुपए मैच्‍योरिटी अमाउंट के तौर पर मिलेंगे.

कौन कर सकता है निवेश

कोई भी व्‍यक्ति जिसकी उम्र 60 साल या इससे ज्‍यादा है, वो निवेश कर सकता है. वहीं वीआरएस लेने वाले सिविल सेक्‍टर के सरकारी कर्मचारियों और डिफेंस से रिटायर होने वाले लोगों को कुछ शर्तों के साथ उम्र सीमा में छूट दी जाती है. 5 साल बाद स्‍कीम मैच्‍योर हो जाती है. अगर आप इस स्‍कीम का फायदा 5 साल बाद भी जारी रखना चाहते हैं, तो जमा राशि मैच्‍योर होने के बाद खाते की अवधि तीन साल के लिए बढ़ा सकते हैं. इसे मैच्‍योरिटी के 1 साल के भीतर बढ़ाया जा सकता है. एक्‍सटेंडेट खाते पर मैच्‍योरिटी की तारीख पर लागू दर पर ब्याज मिलता है. SCSS में सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है.