आज के समय में शेयर मार्केट से लेकर तमाम सरकारी स्‍कीम्‍स तक निवेश के तमाम ऑप्‍शंस हैं. ऐसे लोग जो तगड़ा रिटर्न लेना चाहते है और इसके लिए किसी तरह का रिस्‍क लेने से भी नहीं झिझकते, वो मार्केट में किस्‍मत आजमाते हैं. वहीं कुछ निवेशक ऐसे होते हैं जो रिटर्न पर समझौता कर लेते हैं, लेकिन अपने निवेश को किसी जोखिम में नहीं डालना चाहते. 

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ऐसे निवेशकों के लिए सरकार 100% सुरक्षा के साथ तमाम स्‍कीम्‍स चलाती है. 0% रिस्क वाली इन स्‍कीम्‍स के ऑप्‍शंस आपको बैंक और पोस्‍ट ऑफिस, दोनों जगहों पर मिल जाते हैं. यहां हम आपको बताएंगे पोस्‍ट ऑफिस की ऐसी ही एक स्‍कीम (Post Office Scheme) के बारे में जो आपकी रकम को दोगुना करने की गारंटी देती है. 

कितने समय में दोगुना होगा पैसा?

हम बात कर रहे हैं पोस्‍ट ऑफिस की स्‍कीम किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra) की. किसान‍ विकास पत्र स्‍कीम किसी भी निवेशक को 115 महीने (9 साल, 7 महीने) में निवेश को दोगुना करने की गारंटी देती है. मौजूदा समय में इस स्‍कीम पर 7.5% के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. ब्‍याज की गणना सालाना आधार पर होती है. 

1,000 रुपए से शुरू कर सकते हैं निवेश

स्‍कीम में कोई व्‍यक्ति 1000 रुपए से भी निवेश की शुरुआत कर सकता है और अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. इसके अलावा इस स्‍कीम के तहत कितने भी अकाउंट खोले जा सकते हैं. खाता खुलवाते समय आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म वगैरह डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है. 

कौन खोल सकता है अकाउंट

KVP में कोई भी वयस्‍क व्‍यक्ति सिंगल या जॉइंट अकाउंट ओपन करवा सकता है. इसके अलावा 10 साल से अधिक उम्र का बच्‍चा अपने नाम पर किसान विकास पत्र ले सकता है. अवयस्क या विकृत मस्तिष्क के व्यक्ति की ओर से अभिभावक खाता खोल सकते हैं. खाता खुलवाते समय आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म वगैरह डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है. NRI इस स्कीम के लिए पात्र नहीं है.

प्रीमैच्‍योर विड्रॉल करना हो तो…

केवीपी खाते को जमा करने की तारीख से 2 साल 6 महीने के बाद प्रीमैच्योर विड्रॉल जा सकता है. वहीं कुछ विशेष परिस्थितियों में कभी भी प्री-मैच्‍योर डिपॉजिट कर सकते हैं जैसे-  

KVP होल्डर या जॉइंट अकाउंट के मामले में किसी एक या सभी अकाउंट होल्डर्स की मृत्यु होने पर

राजपत्र अधिकारी के मामले में गिरवीदार द्वारा जब्त किए जाने पर

न्यायालय के आदेश पर