बैंक FD के ब्याज पर कटता है TDS? जमा करा दें Form 15G/15H; क्यों है जरूरी
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Thu, Apr 22, 2021 05:17 PM IST
देश में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक परंपरागत निवेश विकल्प है. शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड जैसे आज के समय में कई पॉपुलर निवेश के विकल्प होने के बावजूद पारंपरिक भारतीय लोगों का भरोसा आज भी बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट यानी बैंक एफडी पर बना हुआ है. अगर आपने भी बैंक FD कराया है, तो यह पहले ही सुनिश्चित कर लें कि बैंक इस जमा पर मिलने वाले ब्याज पर TDS (टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स) न काटे. अगर आप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं हैं तो बैंक एफडी पर टीडीएस नहीं काटेगा. यह भी जान लें कि अगर बैंक एफडी पर आपको किसी एक फाइनेंशियल ईयर में 40,000 से अधिक की ब्याज आमदनी है, तो टीडीएस जरूर कटेगा. सीनियर सिटीजन के लिए यह लिमिट 50 हजार रुपये है.
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जमा काराना होगा फॉर्म 15G/15H
इनकम एग्जेंप्टेड स्लैब में आने पर एफडी की ब्याज आय पर टीडीएस से राहत मिलेगी. टीडीएस की कटौती न हो इसके लिए बैंक के पास फॉर्म 15G/15H जमा करना होता है. अगर आपने पिछले फाइनेंशियल ईयर में एफडी को लेकर ये फॉर्म जमा कर दिए हैं, तो भी इसे नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने पर जमा करना होगा. बैंक एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को ही टैक्स चुकाना होता है और बैंक इस पर टीडीएस लगाती है जिसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के दौरान एडजस्ट किया जाता है.
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PAN नहीं है तो 20% का TDS
बैंक FD से होने वाली ब्याज आय पर TDS 10 फीसदी की दर से लगता है लेकिन अगर आपने पैन नहीं दिया है तो इस पर 20 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा. ऐसे में अगर आप 30 फीसदी के उच्चतम टैक्स ब्रेकेट में आते हैं तो 10 फीसदी की दर से टीडीए चुकाना ही काफी नहीं होगा. इसके अलावा जिनकी आय एग्जेंप्टेड लिमिट से ऊपर नहीं है, वे बैंक को जानकारी दे सकते हैं कि टीडीएस न काटा जाए.
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फॉर्म 15G और फॉर्म 15H में अंतर
इस तरह की सूचना आमतौर पर किसी वित्त वर्ष की शुरुआत में बैंक के पास फॉर्म 15जी/फॉर्म 15एच जमा कर दी जाती है. फॉर्म 15एच ऐसे इंडिविजुअल्स के लिए है जिनकी आय 60 वर्ष से अधिक है और फॉर्म 15जी ऐसे सभी अन्य लोगों के लिए है जिनकी कुल आय उस अधिकतम राशि से अधिक नहीं होती है, जिस पर इनकम टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है.
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