केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि भविष्य निधि के अंशदान (PF Contribution) में किसी तरह की कोई कटौती नहीं की जाएगी. भविष्य निधि (Provident Fund) के अंशदान प्रतिशत को कम करने की अटकलों को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है. सरकार ने कहा है कि ऐसी कोई योजना नहीं है. कर्नाटक के सांसद भगवंत खुबा ने पीएफ में अंशदान को लेकर लोकसभा में लिखित सवाल किया था. उन्होंने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार से पूछा था, "क्या यह सच है कि सरकार कुछ पेशेवरों के लिए भविष्य निधि के अंशदान प्रतिशत को कम करने की योजना बना रही है और यदि हां तो ब्यौरा क्या है?"

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उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या सरकार पीएफ में कम अंशदान करने वालों की सूची में कामकाजी महिलाओं और दिव्यांग पेशेवरों को भी शामिल करने की योजना बना रही है?

संतोष गंगवार ने इस सवाल का सिर्फ एक लाइन में लिखित जवाब देते हुए कहा, जी नहीं.

बता दें कि काफी समय से अटलकलें लगाई जा रही थीं कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन कर्मचारियों के पीएम में किए जाने वाले अंशदान में कमी कर सकता है. इसके पीछे तर्क था कि इससे कर्मचारियों के खाते में ज्यादा पैसे आएंगे और कर्मचारी अपनी जरूरत और पंसद के मुताबिक उस पैसे का निवेश कर सकता है.

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इस समय ईपीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से बेसिक सेलरी का 12-12 फीसदी हिस्सा पीएफ के तौर पर जमा होता है. चर्चा थी कि सरकार पीएफ के इस अंशदान को 12 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करने जा रही है. हालांकि यह भी चर्चा थी कि 12 प्रतिशत के अंशदान को घटाकर 10 प्रतिशत किया जाएगा. 

लेकिन अब सरकार ने साफ कर दिया है कि पीएफ में कटौती की उसकी कोई मंशा नहीं है.