New wage code: न्यू वेज कोड का इंतजार लंबे वक्त से हो रहा है. मोदी सरकार न्यू वेज कोड के लेबर कोड को लागू करना चाहती है. उम्मीद है कि इसे नए वित्त वर्ष में लागू किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के ड्राफ्ट इनपुट पर चर्चा की जा रही है. खबर ये भी है कि नए श्रम कानूनों (New wage Code) में कुछ बदलाव की तैयारी हो रही है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) लेबर कोड (New Labour Code) में कुछ संशोधन कर सकती है. मतलब इसमें सैलरी स्ट्रक्चर को लेकर बदलाव हो सकते हैं. साथ ही गिग (Gig) और प्लेटफॉर्म वर्कर (Platform workers) के लिए भी एक सामाजिक सुरक्षा कल्याण तंत्र पर काम चल रहा है. बता दें, नए लेबर कोड को 2019 में संसद ने पारित किया जा चुका है.

कब से लागू हो सकते हैं नए श्रम कानून

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केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली के मुताबिक, सभी राज्यों से लगातार बात की जा रही है. नए ड्राफ्ट रूल तैयार हो रहे हैं. जब भी कोई बड़ी स्कीम लॉन्च करनी होती है, तो समय लगता है. इसमें राज्यों की भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल इसकी कोई भी डेडलाइन तय नहीं की गई है. लेकिन उम्मीद है कि लेबर कोड को साल 2022 में ही लागू कर दिया जाएगा.

सैलरी स्ट्रक्चर में हो सकता है बदलाव

लेबर मिनिस्ट्री (Labour Ministry) और लेबर यूनियन (Labour Union) के बीच चर्चा के बाद नई ड्राफ्ट गाइनलाइन जारी की जा सकती हैं. अभी तक जो गाइडलाइन तैयार की गई थीं. उसमें कुल CTC का 50% बेसिक सैलरी और 50% अलाउंस में रखने की बात थी. नौकरीपेशा की इनहैंड सैलरी कम होने की चर्चा थी. साथ ही टैक्स का बोझ बढ़ने की भी संभावनाएं जताई गई थीं. लेकिन, अब स्ट्रक्चर में थोड़ा बदलाव आ सकता है. सूत्रों की मानें तो न्यू वेज कोड लागू होते ही अलाउंस के पार्ट को सीधे 50% नहीं रखा जाएगा.

 

क्या हो सकता है संशोधन?

 

न्यू वेज कोड (New wage code) में नया संशोधन ये होगा कि लागू होने के पहले साल में अलाउंस की लिमिट को 70-75% ही रखा जाएगा. जैसे मौजूदा स्ट्रक्चर में कंपनियां करती हैं. लेकिन, धीरे-धीरे इसे 3 साल में घटाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा. आसान तरीके से समझें तो लागू होने के पहले साल 70% अलाउंस रखे जाएंगे और 30% बेसिक सैलरी. इसके बाद 3 साल में अलाउंस का हिस्सा 50% होगा और बेसिक सैलरी को बढ़ाकर 50% कर दिया जाएगा.

 

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छंटनी, कंपनी बंद होने के नियमों में भी होगा बदलाव

 

नए लेबर कोड में कर्मचारियों की छंटनी (Layoffs) और कंपनी बंद होने को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. मौजूदा स्थिति में इसमें 300 कर्मियों की सीमा तय की गई थी. लेकिन, इसे लेकर लेबर यूनियन की तरफ से काफी विरोध किया गया. सूत्रों की मानें तो अब इसमें भी बदलाव किए जाने की संभावना है. इसे 300 से घटाकर 100 कर्मचारी करने पर विचार चल रहा है. इंडस्ट्रीयल रिलेशंस कोड (Industrial Relations Code) के तहत कर्मचारियों की छंटनी या कारोबार बंद करने के लिए 100 तक कर्मियों वाली कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी.

 

कौन से अलाउंस होंगे शामिल?

 

भारतीय मजदूर संघ के महासचिव और CBT बोर्ड के सदस्य विरजेश उपाध्याय के मुताबिक, इंडस्ट्री ने नए सैलरी स्ट्रक्चर में 50% अलाउंस रखने का विरोध किया था. इसलिए इस पर दोबारा विचार हो सकता है. नए लेबर कोड में बेसिक पे (Basic Salary), महंगाई भत्‍ता (Dearness Allowances – DA) और रिटेनिंग अलाउंसेज भी शामिल होंगे. हाउस रेंट अलाउंसेज (HRA) और ओवरटाइम अलाउंसेज (Overtime Allowances) शामिल नहीं किया जाएगा. अलाउंस के शामिल होने से एम्प्लाई और एम्प्लॉयर को प्रोविडेंट फंड में ज्यादा योगदान करना होगा. ग्रेच्युटी की रकम (Gratuity) भी बढ़ जाएगी. सरकार सोशल सिक्योरिटी के तहत रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स पर ज्यादा फोकस कर रही है.