म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर SEBI एक अहम प्रस्ताव लेकर आया है. फंड हाउसेस से कहा कि गया कि वे किसी स्कीम के लिए एक्चुअल रिटर्न के साथ में रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न के बारे में भी डिस्क्लोजर दें. इससे निवेशकों को निर्णय लेने में सुविधा होगी.

रिटर्न के साथ में जोखिम का भी पता चलेगा

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

SEBI के नए प्रस्ताव को अमल में लाने के बाद निवेशकों को यह पता चल पाएगा कि उनके फंड का जो रिटर्न आया है उसके लिए कितना जोखिम उठाया गया है. म्चूचुअल फंड निवेशकों की बाढ़ सी आ गई है. फंड हाउसेस का असेट अंडर मैनेजमेंट 59 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच गया है. इसमें इक्विटी फंड्स का साइज 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है.

बेंचमार्क के मुकाबले रिटर्न के अंतर से पता चलेगा रिस्क

ऐसे में निवेशकों को सेफगार्ड करने के लिए SEBI ने यह प्रस्ताव रखा है. सेबी की मंशा है कि निवेशकों को पता चले कि रिटर्न के लिए कितना जोखिम लिया गया. इसके तहत बेंचमार्क के मुकाबले रिटर्न के अलावा रिस्क एडजस्टेड रिटर्न बताना जरूरी होगा. पोर्टफोलियो और बेंचमार्क के रिटर्न के अंतर को अतिरिक्त रिटर्न से डिवाइड कर निकलेगा इनफॉर्मेशन रेश्यो.

19 जुलाई तक सुझाव मांगे गए हैं

इनफॉर्मेशन रेश्यो से रिस्क एडजस्टेड रिटर्न का पता चलेगा. अभी रिस्क एडजस्टेड रिटर्न डिस्क्लोजर जरूरी नहीं है. वर्तमान में अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स के एडजस्टेड रिटर्न निकालने के तरीके भी अलग अलग हैं.  19 जुलाई तक प्रस्ताव पर लोगों से सुझाव मांगे गए हैं. इसके बाद किसी तरह का फाइनल सर्कुलर जारी किया जाएगा.