Mutual fund strategy in falling market: ग्‍लोबल इकोनॉमी में मंदी के संकेत और घरेलू स्‍तर पर बीते दो कारोबार सत्रों (25, 27 जनवरी) में भारी बिकवाली से भारतीय बाजार में निवेशकों के करीब 10.75 लाख करोड़ रुपये डूब गए. बाजार में इस भारी उठापटक में म्‍यूचुअल फंड निवेशकों को अपनी स्‍ट्रैटजी बना लेनी चाहिए. जिससे कि अगर आगे भी बड़ी गिरावट आए, तो नुकसान को सीमित रखा जा सके और रिकवरी आने पर दमदार रिटर्न हासिल हो सके. बाजार के जानकारों का कहना है कि गिरते बाजार में एसेट एलोकेशन पर फोकस करना चाहिए. इक्विटी, डेट और गोल्‍ड जैसे एसेट क्‍लास के जरिए डायवर्सिफिकेशन करना बेहतर रहता है. SIP के जरिए निवेश करने वाले बाजार में गिरावट को एक अवसर के रूप में भी देख सकते हैं. 

म्‍यूचुअल फंड में कैसे बनाएं स्‍ट्रैटजी? 

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IDBI AMC के हेड (प्रोडक्‍ट एंड मार्केटिंग) अजीत गोस्‍वामी का कहना है कि गिरते बाजार में एसेट एलोकेशन पर फोकस करना चाहिए. यानी, बाजार की गिरावट में डाउनसाइड रिस्‍क कम से कम हो, इसके लिए इक्विटी, डेट, गोल्‍ड जैसे अलग-अलग एसेट क्‍लास के जरिए पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर लेना चाहिए. फाइनेंशियल गोल्‍स, रिस्‍क उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि को देखते हुए निवेशक अपने पोर्टफोलियो को स्‍टैबल बनाए रखने के लिए डायवर्सिफाई कर सकते हैं. अगर आपका इक्विटी में ज्‍यादा एक्‍सपोजर है, तो अपने रिस्‍क प्रोफाइल को देखकर कुछ हिस्‍सा डेट इन्‍स्‍ट्रूमेंट्स में शिफ्ट करना चाहिए. उठापटक भरे बाजार में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए और जरूरत के मुताबिक रीबैलेंस करना चाहिए. 

मनीफ्रंट के को-फाउंडर एंड सीईओ मोहित गांग का कहना है, गिरते बाजार में डायवर्सिफिकेशन एक अच्‍छी स्‍ट्रैटजी रहती है. पोर्टफोलियो में इक्विटी टू डेट रेश्‍यो बेहतर लेवल पर होना चाहिए. इक्विटी, डेट और गोल्‍ड जैसे एसेट क्‍लास के जरिए पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन किया जा सकता है. भारतीय इक्विटी मार्केट के लिए लॉन्‍ग टर्म नजरिया अभी भी बेहतर है. अगर मंदी आती भी है, तो इसका दौर लंबा नहीं होगा. इसमें सबसे अहम बात यह है कि आप निवेश को बनाए रखिये. 

किन फंड्स में करें निवेश

मोहित गांग का कहना है, उतार-चढ़ाव भरे बाजार में निवेशक इक्विटी सेगमेंट में लॉर्ज कैप फंड्स और लॉर्ज कैप फोकस्‍ड फंड्स (Flexi) पर फोकस कर सकते हैं. इसके अलावा, इंडेक्‍स इन्‍वेस्टिंग हमेशा से एक अच्‍छा ऑप्‍शन है.

अजीत गोस्‍वामी कहते हैं, बाजार में जब गिरावट हो, तो निवेशक हाइब्रिड और फ्लेक्‍सी कैप स्‍कीम्‍स में निवेश बढ़ा सकते हैं. 2023 में मार्केट में वॉलेटिलिटी की उम्‍मीद है. हाइब्रिड फंड इक्विटी और डेटल के बीच निवेश को वैल्‍युएंशस के मुताबिक एडजस्‍ट करते हैं. वहीं, फ्लेक्‍सी कैप में मार्केट के ट्रेंड के मुताबिक फंड मैनेजर फंड को स्विच कर सकता है. इस तरह अगर लॉर्ज कैप बेहतर चल रहा है, तो फंड मैनेजर लॉर्ज कैप में चला जाता है. वहीं, अगर मिडकैप चल रहे होते हैं, तो मिडकैप में निवेश करता है. इससे यह होता है कि निवेशक का रिटर्न बेहतर रहता है.

SIP या STP क्‍या करें 

मोहित गांग का कहना है, SIP (सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान) हमेशा से एक अच्‍छा तरीका है. अपनी सेविंग्‍स के जरिए SIPs का एक मजबूत सेट बनाकर रखें. इससे किसी भी तरह की मार्केट कंडीशन का सामना करने में मदद मिलती है. STP (सिस्‍टमैटिक ट्रांसफर प्‍लान) के बारे में उनका कहना है कि अगर निवेश की रकम आपके मौजूदा पोर्टफोलियो की कुल वैल्‍यू का 10 फीसदी से ज्‍यादा है, तो सलेक्‍टेड रूप से करनी चाहिए. बेहतर यही है कि इक्विटी फंड्स में दावं लगा सकते हैं. 

अजीत गोस्‍वामी का कहना है, अगर SIP कर रहे हैं, तो जब भी मार्केट में तेज गिरावट आए अपनी एसआईपी के साइज को और बड़ा करें जिससे कि उसकी एवरेज लागत नीचे आ जाए. STP की बात करें तो सबसे पहले एकमुश्‍त रकम को एक म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम (आमतौर पर डेट स्‍कीम) में निवेश करना चाहिए. इसके बाद फंड को रेगुलर इंटरवल पर इक्विटी स्‍कीम्‍स में ट्रांसफर करना चाहिए. 

 

(डिस्‍क्‍लेम: म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. यहां निवेश पर जी बिजनेस की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.) 

 

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