Mutual Fund: क्या करें जब बढ़ने की बजाय घटने लगे वेल्थ? निगेटिव कम्पाउंडिंग पर जानिए एक्सपर्ट की राय
Mutual Fund: लंबी अवधि तक अगर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश बनाए रखते हैं, तो कम्पाउंडिंग का जबरदस्त फायदा होता है. लेकिन, कई बार निवेशकों को इससे उलट हालात से भी गुजरना पड़ता है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लेकर अलर्ट है, तो वह निगेटिव कम्पाउंडिंग से बच सकते हैं.
Mutual Fund: शेयर बाजार में बीते कई महीने से उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा बना हुआ है. महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों की चिंताओं के बीच लगातार 17वें महीने जुलाई 2022 में इक्विटी स्कीम्स में इनफ्लो देखा गया. म्यूचुअल फंड में निवेश के बारे में जब भी हम बात करते हैं, हमेशा यह कहा जाता है कि लंबी अवधि का नजरिया रखना चाहिए. लंबी अवधि तक अगर म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश बनाए रखते हैं, तो कम्पाउंडिंग का जबरदस्त फायदा होता है. लेकिन, कई बार निवेशकों को इससे उलट हालात से भी गुजरना पड़ता है. इसे निगेटिव कम्पाउंडिंग कहते हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को लेकर अलर्ट है, तो वह निगेटिव कम्पाउंडिंग से बच सकते हैं.
BPN Fincap के डायरेक्टर एके निगम का कहना है, वेल्थ क्रिएशन में हमेशा कम्पाउंडिंग की पावर काम आती है. लेकिन, समय-समय पर निवेशकों को निगेटिव कम्पाउंडिंग से बचने के भी उपाय करने चाहिए. इसे एक अदाहरण से समझिए, मान लीजिए आपके पोर्टफोलियो में दो स्कीम हैं. इसमें एक स्कीम का सालाना रिटर्न 20 फीसदी रहा और दूसरी स्कीम ने इसी अवधि में 25 फीसदी का निगेटिव रिटर्न रहा.
इसका मतलब कि आपका नेट रिटर्न करीब 5 फीसदी निगेटिव रहा. इसका मतलब कि आपको एक स्कीम से कम्पाउंडिंग का जिस तरह जबरदस्त फायदा हो रहा है, दूसरी स्कीम ने उसे खत्म कर दिया. आपका पैसा बढ़ने की बजाय घटने लगा.
ऐसी स्कीम्स से निकलें बाहर
निगम का कहना है कि निवेशक आमतौर पर एक बड़ी सामान्य चूक करते हैं, अच्छा परफॉर्म करने वाली स्कीम में प्रॉफिट बुक करता है और जिस स्कीम का रिटर्न लगातार निगेटिव या कम बना हुआ है, उसमें वह इस उम्मीद में बना रहता है कि आगे तेजी आएगी. जबकि, इसके उलट करना चाहिए. हमेशा ऐसी स्कीम से बाहर निकल जाना चाहिए, जो आपके पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को कमजोर कर रही हैं.
उनका कहना है कि निगेटिव कम्पाउंडिंग से बचने के लिए निवेशक के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि उसे अपने पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए. ऐसी स्कीम से दूरी बनाइए, जिसकी परफॉर्मेंस लगातार खराब या अच्छी नहीं है. अकसर निवेश को लेकर एक्सपेरिमेंट करना भारी पड़ जाता है. एक्सपेरिमेंट करने के चक्कर में आमतौर पर निवेशकों का पैसा डूब जाता है.
SIP अकाउंट्स ऑल टाइम हाई पर
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) के जरिए पिछले महीने 12,140 करोड़ रुपये का निवेश आया. जून में यह आंकड़ा 12,276 करोड़ रुपये था. इसके अलावा जुलाई में SIP अकाउंट्स की संख्या 5.61 करोड़ के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई. मंथली SIP कंट्रीब्यूशन 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बना हुआ है. इससे पता चलता है कि म्यूचुअल फंड एक पसंदीदा निवेश का ऑप्शन है. हाइब्रिड फंड्स को छोड़कर म्यूचुअल फंड की लगभग सभी कैटेगरी में पॉजिटिव फ्लो रहा है. इससे साफ है कि अगली कुछ तिमाहियों में आर्थिक रिकवरी तेजी से होगी.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)