कोरोना के कहर में निवेश में है समझदारी! बाजार की चाल का क्या है असर, जानें यहां-
बाजार के ऐसे हालात को देखकर निवेशक घबराए हुए हैं. निवेशकों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे बाजार में बने रहें या निकल जाएं.
कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से बाजार में कोहराम मचा हुआ है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन (Lockdown) किया जा रहा है. अब तक 30 से ज्यादा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूरी तरह से तालाबंदी हो चुकी है. कुछ राज्यों में कर्फ्यू लगाना पड़ा है. इस कारण बाजार में निवेशक घबराए हैं. बाजार अब तक के सबसे नीचले स्तर पर पहुंच चुका है.
बाजार के ऐसे हालात को देखकर निवेशक घबराए हुए हैं. निवेशकों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे बाजार में बने रहें या फिर जो हाथ आ रहा है उस पैसे को निकाल लें.
म्यूचुअल फंड हेल्पलाइन में मार्केट एक्सपर्ट कौस्तभ बेलापुरकर निवेशकों के इस तरह के तमाम सवालों का जवाब दे रहे हैं.
अनिश्चित बाजार में लिक्विड फंड सही
लिक्विड फंड (Liquid funds) में निवेश को बने रहने दें. लिक्विड फंड सुरक्षित पर रिटर्न ब्याज दर पर निर्भर करता है. बाजार की चाल का लिक्विड फंड पर असर नहीं पड़ता है.
ऐसे में SIP शुरू कर सकते हैं
सिस्मेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश के लिए किसी एक्सपर्ट की मदद लें. निवेश से पहले अपना टारगेट तय करें. जोखिम क्षमता, अवधि के हिसाब से असेट एलोकेशन करें. SIP को हर साल 5-10 फीसदी से बढ़ाएं. सिप में 6-12 महीने का इमरजेंसी प्लान बनाना जरूरी है. लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करें और पोर्टफोलियो को सालाना/जरूरत के हिसाब से रिव्यू करते रहें.
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ताजा हाल में आर्बिट्राज फंड सही?
रिटर्न और टैक्सेशन के लिहाज से आर्बिट्राज फंड अच्छे हैं. आर्बिट्राज म्यूचुअल फंड की इक्विटी कैटेगरी में आता है. फंड का 65 फीसदी हिस्सा शेयरों में लगाया जाता है. उथल-पुथल में रिटर्न पर असर पड़ सकता है. हफ्ते से 3 महीने के लिए लिक्विड फंड में निवेश विकल्प चुनें. 3-6 महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड सही होता है. 6-12 महीने के लिए लो-ड्यूरेशन/मनी मार्केट फंड बेहतर होता है.