Mutual Fund ELSS: शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल के बावजूद म्‍यूचुअल फंड में रिटेल निवेशकों का भरोसा बना हुआ है. इस साल मई में इक्विटी म्‍यूचुअल फंड्स में 18,529 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. रिटेल निवेशकों के ताबड़तोड़ निवेश के दम पर लगातार 15वें महीने इक्विटी फंड्स में इनफ्लो बना रहा. इक्विटी म्‍यूचुअल फंड की एक कैटेगरी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के हाल के आंकड़ों के मुताबिक, टैक्‍स सेविंग्‍स के लिहाज से सबसे कम लॉक-इन वाली इन  स्‍कीम्‍स में मई में 747 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ. एक्‍सपर्ट का मानना है कि गिरते बाजार में भी ELSS में निवेश बनाए रख सकते हैं.

ELSS: क्‍या हो निवेश की स्‍ट्रैटजी? 

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बीपीएन फिनकैप के डायरेक्‍टर अमित कुमार निगम का कहना है, टैक्‍स सेविंग्‍स के लिहाज से अगर ELSS में पैसा लगाने चाहते हैं, तो निवेश कर सकते हैं. इस स्‍कीम में 3 साल का लॉक-इन पीरियड है. इस अवधि तक मार्केट में रिकवरी देखने को मिल सकती है. हालांकि, ELSS में यहां निवेश की स्‍ट्रैटजी में थोड़ा बदलाव करना चाहिए. जिस तरह के ग्‍लोबल हालात हैं, उसमें ऐसा आकलन है कि बाजार ने अभी अपना बॉटम नहीं बनाया है. इसलिए अगर आप ELSS में एकमुश्‍त निवेश करना चाहते हैं, तो आप इसे एक साथ लगाने की बजाय 3 किस्‍तों में लगाएं. 

निगम का कहना है, अगर 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर टैक्‍स डिडक्‍शन लेने का प्‍लान है, तो इस रकम को 50-50 हजार की तीन किस्‍तों में गिरावट पर लगाएं. इससे हर गिरावट में आपको अच्‍छे भाव पर यूनिट्स मिलेंगी और जब मार्केट में रिकवरी आएगी, तो सभी यूनिट चढ़ेंगी. इस तरह आपको लॉक-इन पीरियड आते-आते हर खरीदारी पर अच्‍छा रिटर्न मिलेगा. साथ ही टैक्‍स डिडक्‍शन का भी पूरा फायदा होगा.

टैक्‍स सेविंग प्रोडक्‍ट्स में सबसे कम लॉक-इन

निगम का कहना है कि ELSS में मिनिमम 80 फीसदी इक्विटी एक्‍सपोजर होता है, जो टेक्निकली 100 फीसदी तक हो सकता है. इसमें इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 80C के अंतर्गत निवेश पर 1.50 लाख रुपये तक टैक्‍स डिडक्‍शन मिलता है. यह टैक्‍स सेविंग के लिहाज से सबसे कम 3 साल का लॉक इन प‍ीरियड वाला प्रोडक्‍ट है. इसका मतलब कि आपने जब निवेश किया है, उसके तीन साल बाद पैसा निकाल सकते हैं. दूसरे टैक्‍स सेविंग ऑप्‍शन को देखें तो उनमें लॉक इन पीरियड ज्‍यादा है. जैसेकि बैंक एफडी में 5 साल, पीपीएफ में 15 साल का है. ELSS में हर महीने सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए भी किया जा सकता है. डबल बेनेफिट के चलते नौकरीपेशा लोगों के बीच एक पॉपुलर टैक्‍स सेविंग इंस्‍ट्रूमेंट है.

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ELSS: 3 साल में टॉप परफॉर्मिंग स्‍कीम्‍स 

क्‍वांट टैक्‍स प्‍लान (Quant Tax Plan)

3 साल में सालाना रिटर्न: 30.15 फीसदी CAGR

1 लाख रुपये निवेश की वैल्‍यू: 2.20 लाख रुपये 

10,000 मंथली SIP की वैल्‍यू: 5.88 लाख रुपये 

मिनिमम निवेश: 500 रुपये 

मिनिमम SIP: 500 रुपये 

एसेट्स: 1,359 करोड़ रुपये (31 मई 2022 तक)

एक्‍सपेंश रेश्‍यो: 0.57% (31 मई 2022 तक)

बैंक ऑफ इंडिया टैक्‍स एडवांटेज फंड (Bank of India Tax Advantage Fund)

3 साल में सालाना रिटर्न: 18.82 फीसदी CAGR

1 लाख रुपये निवेश की वैल्‍यू: 1.68 लाख रुपये 

10,000 मंथली SIP की वैल्‍यू: 4.54 लाख रुपये 

मिनिमम निवेश: 500 रुपये 

मिनिमम SIP: 500 रुपये 

एसेट्स: 570 करोड़ रुपये (31 मई 2022 तक)

एक्‍सपेंश रेश्‍यो: 1.34% (31 मई 2022 तक)

मिराए एसेट टैक्‍स सेवर फंड (Mirae Asset Tax Saver Fund)

3 साल में सालाना रिटर्न: 16.04 फीसदी CAGR

1 लाख रुपये निवेश की वैल्‍यू: 1.56 लाख रुपये 

10,000 मंथली SIP की वैल्‍यू: 4.57 लाख रुपये 

मिनिमम निवेश: 500 रुपये 

मिनिमम SIP: 500 रुपये 

एसेट्स: 11,805 करोड़ रुपये (31 मई 2022 तक)

एक्‍सपेंश रेश्‍यो: 0.57% (31 मई 2022 तक)

(नोट: फंड्स की डीटेल वैल्‍यू रिसर्च से ली गई है.) 

 

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां स्‍कीम्‍स के प्रदर्शन की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)