अगर आपने हाल ही में कमाना शुरू किया है या आपकी पहली जॉब लगी है तो अपने कमाए हुए पैसों के लेकर आपने भी कई तरह की प्लानिंग कर रखी होगी. अब आपके पास अपना इनकम सोर्स है और आप जो चाहे वो कर सकते हैं इन पैसों का. आपके दिमाग में बहुत सी चीज चल रही होंगी, सैलरी कहां खर्च करनी है, क्या खरीदना है, कहां पैसे लगाने हैं, वगैरह-वगैरह. ये सबकुछ ठीक है, लेकिन यह ऐसा वक्त भी है जब आपको मनी मैनेजमेंट के बारे में भी सोचना शुरू कर देना चाहिए.

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पैसे को आप बचाते हैं तो पैसा आपको बचाता है. भले ही आपको जल्दी पैसों की जरूरत नहीं दिखाई दे रही हो, लेकिन सेविंग्स में किए गए पैसे काटते नहीं हैं, भले ही आपका फाइनेंशियल सपोर्ट सिस्टम पहले से मजबूत हो.

अगर आप फाइनेंशियल प्लानिंग में नौसिखिया है- तो हम आपको यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपने मनी मैटर्स को बेहतर ढंग से मैनेज कर पाएंगे.

सबसे पहले यह ध्यान में रखें कि आपको अपने खर्चे, उधार और निवेश तीनों में बैलेंस बनाकर रखना है. ये तीन फैक्टर्स आपकी जेब खाली कर सकते हैं या स्ट्रेस फ्री रख सकते हैं.

जितनी जल्दी हो सके सेविंग करना शुरू करें

एक्सपर्ट्स भी सलाह देते हैं कि आप जितनी जल्दी हो सके, अपनी बचत शुरू कर दें. भले ही छोटा अमाउंट हो लेकिन करें. आप जितनी जल्दी बचत करना शुरू करेंगे आपके पास भविष्य में उतना ही बड़ा फंड होगा. इस प्रैक्टिस को आपको रूटीन में लाना होगा. एक छोटा फंड तैयार करिए, जिसमें आप रूटीन के साथ बचत कर सकें.

खर्च के पहले बचत

यह फॉर्मूला जिंदगी भर आपके काम आएगा. कोई भी खर्च हो, उसकी प्रायोरिटी को समझिए. उस पैसे का मोल समझिए कि वो पैसा कहां जा रहा है, क्या उसे खर्च किए बिना आपका काम बन सकता है. आपको खर्च करने से पहले थोड़ी बचत कर लेनी चाहिए. यानी कि आप तभी खर्च करिए, जब आपने बचत के लिए ठीकठाक पैसे बचा लिए हों. 

इंश्योरेंस में पैसे लगाएं

सबसे पहले आपको लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस में पैसे लगाने चाहिए. खुद को सिक्योर करिए, अपनी फैमिली को सिक्योर करिए. इंश्योरेंस में पैसे लगाकर आप भविष्य में किसी इमरजेंसी से निपटने के लिए तैयार हो सकते हैं. 

क्रेडिट कार्ड की आंच

क्रेडिट कार्ड आजकल के युवाओं की फाइनेंशियल हैबिट में शामिल है. अगर आप भी अपने खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड पर निर्भर रहते हैं तो जरूरी है कि आप अपने ड्यूज़ टाइम पर चुकाते रहें. ड्यूज़ न चुकाने की स्थिति में आपको ज्यादा ब्याज तो भरना ही पड़ेगा, ऊपर से जुर्माना भरने में जो जेब खाली होगी वो अलग.