अब 5 की जगह 3 साल में मिलेगी ग्रेच्युटी, मोदी सरकार तैयार कर रही है यह प्लान
सरकार द्वारा ग्रेच्युटी की सीमा को 5 साल से घटाकर 3 साल करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए ग्रेच्युटी एक्ट 1972 में बदलाव किए जाएंगे.
किसी भी संस्था या कंपनी में 5 साल सेवाएं देने के बाद कोई भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है. लेकिन अब ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को 5 साल तक इंतजार नहीं करना होगा. केंद्र सरकार चुनाव से पहले निजी कर्मचारियों को राहत देने की तैयारी कर रही है. इसके तहत मोदी सरकार इस साल के अंत तक ग्रेच्युटी मिलने की समय सीमा को घटाने की तैयारी कर रही है. ग्रेच्युटी की सीमा को 5 साल से घटाकर 3 साल करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए ग्रेच्युटी एक्ट 1972 में बदलाव किए जाएंगे.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, श्रम मंत्रालय ने उद्योग जगत से ग्रेच्युटी के इस प्रावधान पर उनकी राय मांगी है. श्रम मंत्रालय ने उद्योग जगत से पूछा है कि ग्रेच्युटी की समयसीमा अगर 5 से घटाकर 3 साल कर दिया जाए तो इसका उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इस लागू करते समय किन दिक्कतों का सामना कर पड़ सकता है. इस प्रस्ताव को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के नए बोर्ड के सामने रखा जाएगा.
जानकारों का कहना है कि ग्रेच्युटी की समयसीमा घटाने के साथ इसकी गणना के तरीकों में भी बदलाव पर विचार किया जा रहा है. हालांकि लेबर यूनियन की तरफ से ग्रेच्युटी की समय सीमा को और कम करने की मांग की जा रही है.
कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी की लाभ
केंद्र सरकार ने अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी का लाभ देने पर विचार किया है. भले ही ऐसे कर्मचारियों का अनुबंध 5 साल से कम क्यों न हो. आमतौर पर कॉन्ट्रैक्ट 1 या 3 साल का होता है. इस समयावधि के पूरा होने पर नियोक्ता कॉन्ट्रैक्ट को और बढ़ा देते हैं. ऐसे कर्मचारियों को अनुपातिक रूप से ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा. यानी जितने समय की सर्विस होगी उस अनुपात में नियोक्ता कर्मचारी को लाभ देगा. इसके लिए जरूरी नियमों में बदलाव की बात चल रही है.
ग्रेच्युटी
किसी कंपनी में काम करने के दौरान कर्मचारी के वेतन का एक भाग भविष्य निधि और ग्रेच्युटी (उपदान) के रूप में काटा जाता है. आरम्भिक दौर में यह स्वैच्छिक होता है और पूरी तरह से कर्मचारी पर निर्भर करता है. ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 में प्रत्येक कंपनी, जिसमें दस से अधिक कर्मचारी हैं, कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने के लिए बाध्य है. ग्रेच्युटी की सीमा 3.50 लाख रुपये तक होने पर यह आयकर की सीमा से मुक्त होती है. इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पूरी राशि आयकर मुक्त होती है. कंपनी को यह अधिकार है कि वह स्वेच्छा से अपने कर्मचारियों को ज्यादा ग्रेच्युटी दें. लेकिन अतिरिक्त लाभ के रूप में मिलने वाली ग्रेच्युटी आयकर के दायरे में आती है.