सेबी ने सख्त किए MF के नियम? जानिए क्या पड़ेगा आपके पैसे पर असर
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानि SEBI ने म्यूचुअल फंड (MF) के नियमों में बदलाव किया है. म्यूचुअल फंड खासकर लिक्विड फंड्स में निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए सेबी ने ये बदलाव किए हैं.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानि SEBI ने म्यूचुअल फंड (MF) के नियमों में बदलाव किया है. म्यूचुअल फंड खासकर लिक्विड फंड्स में निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए सेबी ने ये बदलाव किए हैं, तो सेबी ने म्यूचुअल फंड के नियमों में क्या बदलाव किया है? इन बदलावों का 1 आम निवेशक पर क्या असर होगा? 'जी बिजनेस' के खास कार्यक्रम 'म्यूचुअल फंड (MF) हेल्पलाइन' में JS फाइनेंशियल एडवाइजर्स के फाउंडर जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि सेबी ने लिक्विड MF की सुरक्षा बढ़ाने के लिए नियम बदले हैं.
क्या है सेबी का फैसला?
> लिक्विड MF का 20% असेट लिक्विड सिक्योरिटीज में.
> सेक्टोरल कैप को 25% से घटाकर 20% कर दिया है.
> लिक्विड फंड शॉर्ट टर्म डिपोजिट में निवेश नहीं कर सकेंगे.
> शॉर्ट टर्म डिपोजिट, डेट और मनी मार्केट में निवेश पर रोक.
> लिक्विड स्कीम के निवेशकों पर एग्जिट लोड लगेगा.
> म्यूचुअल फंड्स को NCDs में निवेश करना होगा.
> NCD- नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर्स.
लिक्विड फंड्स के बदले नियम : लिक्विड सिक्योरिटीज में 20% असेट
> लिक्विड MF को लिक्विड सिक्योरिटीज में असेट रखना होगा.
> लिक्विड सिक्योरिटीज यानि कैश, सरकारी सिक्योरिटीज.
> ट्रेजरी बिल्स भी लिक्विड सिक्योरिटीज का हिस्सा हैं.
> अचानक रीडम्पशन के दबाव से निपट सकेंगे.
> बदले नियम में एग्जिट लोड.
> लिक्विड फंड्स पर अब एग्जिट लोड भी लगेगा.
> एग्जिट लोड सभी निवेशकों पर नहीं लगेगा.
> निवेश करने के 7 दिन के भीतर बाहर निकलते हैं.
> ऐसे में निवेशक को एग्जिट लोड देना होगा.
सेक्टोरल कैप 20% हुआ
> लिक्विड फंड 20% ही किसी सेक्टर में लगा सकेंगे.
> अब तक एक सेक्टर में 25% निवेश की इजाजत थी.
> हाउसिंग सेक्टर के संकट को देखते हुए फैसला लिया.
निवेशकों पर क्या असर?
> ज्यादा लिक्विडिटी.
> NAV ग्रोथ में उतार-चढ़ाव.
> एग्जिट लोड देना होगा.
> निवेशक लिक्विड फंड्स से बाहर निकल सकते हैं.
> निवेशक ओवरनाइट फंड्स का रुख कर सकते हैं.
> लिस्टेड सिक्योरिटीज में निवेश होगा फायदेमंद.
> पारदर्शिता बढ़ेगी, स्कीम की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
> पेपर्स में निवेश की सीमा तय कर दी गई है.
> क्रेडिट रिस्क कम करने में मदद मिलेगी.
रिटर्न पर असर होगा?
> लिक्विड फंड के नियम बदलने का असर रिटर्न पर.
> रिटर्न के मोर्च पर बदलाव देखने को मिल सकता है.
> इन बदलावों के बाद रिटर्न कम हो सकता है.
क्या निवेश होगा ज्यादा सुरक्षित?
> नये बदलाव निवेश में सुरक्षा कवच का काम करेंगे.
> इन नियमों से निवेश पारदर्शी और लिक्विड होगा.
> निवेशकों के निवेश को ज्यादा सुरक्षा मिलेगी.
MF इंडस्ट्री के लिए क्या बदलेगा?
> मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में उथल-पुथल.
> कई डेट फंड्स में उथल-पुथल मची हुई है.
> डेट फंड्स में निवेशकों का भरोसा कम हो रहा था.
> डेट मार्केट पर निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा.
> उनके लिए डेट को समझना आसान होगा.