Loan Pre Payment: लोन की EMI घटाने में कितना कारगर है प्री-पेमेंट, जानिए किस तरह मिलता है इसका फायदा
Loan Pre Payment: आरबीआई द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से होम लोन और कार लोन की किश्तें भी बढ़ गई है. ऐसे में आप लोन का प्री-पेमेंट कर ईएमआई के बोझ से मुक्ति पा सकते हैं. जानिए कैसे कम करें ईएमआई का बोझ.
Loan Pre Payments Benefits: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रेपो दरों को 25 बेसिक प्वाइंट्स तक बढ़ा दिया है. इसके बाद रेपो दर 6.50 हो गई है. रेपो दरों के बढ़ने से लोन महंगा हो गया है और ज्यादातक बैंकों ने होम लोन पर 200 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ाएं हैं. आरबीआई के फैसले से छोटी अवधि के लोन की EMI 10 फीसदी तक बढ़ गई है. वहीं, लंबी अवधि का होम लोन 20 फीसदी तक महंगा हो गया है. ऐसे में निवेश की सटीक स्ट्रैटेजी अपनाकर EMI का बोझ कम कर सकते हैं. इसके लिए लोन का प्रीपेमेंट एक अच्छा विकल्प है.
शुरुआती अवधि में प्री-पेमेंट कारगर
लोन का बोझ कम करने के लिए प्री-पेमेंट एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इसके लिए लोन की शुरुआती अवधि में प्री-पेमेंट करना कारगर हो सकता है. दरअसल लोन के शुरुआती वर्षों में ब्याज कंपोनेंट ज्यादा रहता है. बीच-बीच में आप एकमुश्त प्री-पेमेंट कर सकते हैं. इसके अलावा हर महीने सिस्टमैटिक पार्ट पेमेंट भी कर सकते हैं. आप अपने हर महीने के खर्च से कुछ अतिरिक्त राशि को बचा सकते हैं. इस राशि का इस्तेमाल आप लोन के प्री पेमेंट में कर सकते हैं. इस बात का खास ध्यान रखें कि आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है या फिर फिक्स्ड रेट पर है.
12 साल में ही छुकाएं 20 साल का लोन
आपने यदि लंबी अवधि यानी 20 साल तक का लोन लिया है तो उसे आप 12 साल में ही चुका सकते हैं. इसके लिए आप साल में एक बार EMI को कम से कम पांच फीसदी तक बढ़ाएं. पांच फीसदी से लोन प्री पे करने से 20 साल का लोन 12 साल में खत्म हो जाएगा. इसके अलावा आप सालाना मिलने वाले बोनस का इस्तेमाल लोन के प्री-पेमेंट में कर सकते हैं. आपको बता दें कि प्री-पेमेंट की रकम मूलधन से घटा दी जाती है, ऐसे में आपको अगली बार घटे हुए मूल धन पर ब्याज देना होता है. इससे आपके ब्याज में दी जाने वाले लाखों रुपए बच जाएंगे.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
रेपो दर बढ़ने से EMI पर असर
आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ने से होम लोन और कार लोन की ईएमआई या फिर अवधि बढ़ जाती है. इसका सीधा असर बचत पर पड़ता है. फ्लोटिंग रेट में ब्याज दरों का सीधा असर होता है. हालांकि, फिक्स्ड रेट पर इन दरों का असर नहीं पड़ता है. मान लीजिए आपने 25 लाख रुपए का होम लोन लिया है, जिसकी अवधि 15 साल की है. इसमें पहले आपको 8.85 फीसदी ब्याज दर चुकानी पड़ती थी. रेपो रेट बढ़ने के बाद ये बढ़कर 9.10 फीसदी हो गई है. आपको अब 372 रुपए ईएमआई देनी होगी. वहीं,आपने यदि पांच साल के लिए पांच लाख रुपए कार लोन लिया है तो इसकी ईएमआई 10.35 फीसदी से बढ़कर 10.60 हो गई है.