दिल्‍ली की रहने वाली सुमोना एक मल्‍टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं. रोजाना मेट्रो से ऑफिस आना जाना होता है. एक दिन उन्‍होंने प्‍लान बनाया कि एक कार खरीद ली जाए. इसके लिए बैंक से लोन लेकर काम हो जाएगा और ईएमआई के जरिए लोन का निपटारा भी होा रहेगा. लेकिन जब उन्‍होंने बैंक में लोन के लिए अप्‍लाई किया तो बैंक ने उन्‍हें लोन देने से मना कर दिया. सुमोना को समझ नहीं आया कि अब तक उन्‍होंने कभी लोन नहीं लिया है, पहली बार लेना चाहा तो बैंक ने इनकार क्‍यों किया. पता करने पर मालूम पड़ा कि उनका सिबिल स्‍कोर (Cibil Score) -1 है. ऐसे में बैंक भी उन्‍हें लोन देने से हिचकिचा रहे थे. सुमोना को समझ नहीं आ रहा था कि उन्‍होंने कभी लोन नहीं लिया तो उनका सिबिल स्‍कोर माइनस में क्‍यों है? सुमोना की तरह ये समस्‍या किसी के भी सामने आ सकती है. आइए आपको बताते हैं इस बारे में-

क्‍यों माइनस होता है सिबिल स्‍कोर

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दरअसल लोन के लिए क्रेडिट स्‍कोर का अच्‍छा होना बहुत जरूरी है. सिबिल स्‍कोर जितना अच्‍छा होगा, लोन उतनी ही आसानी से मिल जाएगा. सिबिल स्‍कोर 300 से 900 के बीच निर्धारित होता है. 750 या इससे ऊपर के सिबिल स्‍कोर को अच्‍छा माना जाता है. लेकिन अगर आपने कभी कोई लोन नहीं लिया और आप क्रेडिट कार्ड का भी इस्‍तेमाल नहीं करते हैं, तो ऐसे में आपकी कोई क्रेडिट हिस्‍ट्री ही नहीं होती. इस स्थिति में आपका क्रेडिट स्‍कोर -1 हो जाता है. जिसे सामान्‍य भाषा में लोग जीरो क्रेडिट स्‍कोर कह देते हैं. ऐसे में बैंक के आपको किस आधार पर विश्‍वसनीय मानें, इसको लेकर बैंक के सामने असमंजस की स्थिति होती है और यही कारण है कि बैंक इस स्थिति में व्‍यक्ति को लोन देने से हिचकिचाते हैं या कई बार इनकार कर देते हैं.

क्‍या है माइनस सिबिल स्‍कोर को बढ़ाने का तरीका

माइनस सिबिल स्‍कोर को बढ़ाने का तरीका ये है कि आप किसी न किसी तरह लोन लें. लेकिन क्रेडिट हिस्‍ट्री न होने के कारण बैंक आपको लोन नहीं दे रहे हैं, तो ऐसे में आपके पास क्रेडिट स्‍कोर बढ़ाने के दो विकल्‍प हैं. पहला- या तो आप बैंक से क्रेडिट कार्ड लेकर इसका इस्‍तेमाल शुरू करें और भुगतान समय से करें. इससे बैंकिंग सिस्‍टम में आपका कर्ज शुरू हो जाएगा और दो या तीन हफ्ते में आपका सिबिल स्‍कोर अपडेट हो जाएगा. वहीं दूसरा तरीका ये है कि आप बैंक में दो छोटी-छोटी 10-10 हजार की एफडी कराएं. एफडी खुलने के बाद उसके एवज में ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत लोन ले लें. जैसे ही आप अपनी एफडी पर ओवरड्रॉफ्ट के तहत पैसों की निकासी करेंगे, आपका कर्ज शुरू हो जाएगा और समय के साथ जैसे ही आप लोन चुकाएंगे, आपका क्रेडिट स्‍कोर अपडेट हो जाएगा.

माइनस सिबिल स्‍कोर होने पर लोन मिलने की कोई संभावना नहीं होती?

इस मामले में एक बैंक में काम करने वाली एक अधिकारी बताती हैं कि सिबिल स्‍कोर माइनस होने पर बैंक व्‍यक्ति की विश्‍वसनीयता को दूसरे मापदंडों पर परखते हैं. ऐसे में व्‍यक्ति की आय के स्रोत, उसकी शैक्षणिक योग्‍यता आदि को देखा जाता है. जैसे कोई व्‍यक्ति डॉक्‍टर या सीए या किसी उच्‍च पद पर है, तो उसकी क्रेडिट हिस्‍ट्री न होने पर भी उसे लोन मिलने की पूरी संभावना होती है क्‍योंकि उसकी आय अच्‍छी खासी होती है. लेकिन अगर आपके पास ऐसे ऊंचे पद वाली नौकरी नहीं है, तो आप अपनी बेहतर आर्थिक स्थिति को दिखाने के लिए बैंक को कुछ वर्षों का बैंक स्‍टेटमेंट देकर आश्‍वस्‍त कर सकते हैं. इसके अलावा आपके तमाम बिल जो आप अब तक नि‍यमित रूप से चुकाते आए हैं, प्रमाण के तौर पर दिखा सकते हैं. ऐसे में अगर बैंक आश्‍वस्‍त होगा तो लोन दे सकता है और अगर नहीं हुआ तो इनकार भी कर सकता है.