SIP में निवेश क्यों करना चाहिए? ये 4 वजह जानने के बाद दूर हो जाएगा सारा कन्फ्यूजन
एसआईपी में निवेश करने के लिए आपको बहुत सोचने की जरूरत नहीं है, हर महीने महज 500 रुपए जमा करके आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं. जब आपकी इनकम बढ़ जाए तो आप इस अमाउंट को अपनी सुविधा के हिसाब से बढ़ा सकते हैं.
Systematic Investment Plan (SIP) आजकल काफी पॉपुलर है. SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है. एसआईपी के जरिए निवेश करने से बाजार के उतार-चढ़ाव से जुड़ा जोखिम काफी कम हो जाता है. SIP में आप हर महीने 500 रुपए के छोटे निवेश से भी शुरुआत कर सकते हैं. इसके अलावा आज के समय में एसआईपी अन्य स्कीम्स की तुलना में कहीं बेहतर रिटर्न देने वाला प्लान माना जाता है. आइए आपको बताते हैं कि एसआईपी आपके लिए क्यों है बेस्ट.
प्लान में मिलती है फ्लैक्सिबिलिटी
एसआईपी में निवेश करने के लिए आपको बहुत सोचने की जरूरत नहीं है, हर महीने महज 500 रुपए जमा करके आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं. जब आपकी इनकम बढ़ जाए तो आप इस अमाउंट को अपनी सुविधा के हिसाब से बढ़ा सकते हैं. इसके अलावा आप इसमें मासिक, तिमाही या छमाही निवेश का विकल्प भी चुन सकते हैं. वहीं किसी तरह का आर्थिक संकट होने पर आप इसे बीच में कुछ समय के लिए रोक भी सकते हैं. यानी इस प्लान में आपको फ्लैक्सिबिलिटी मिलती है.
लॉन्ग टाइम में बेहतर रिटर्न
एसआईपी में अन्य स्कीम्स की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलता है. इसमें आपको कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है यानी आपको निवेश पर जो रिटर्न मिलता है, उस रिटर्न पर भी रिटर्न मिलता है. इसके अलावा एसआईपी में करीब 12 फीसदी तक औसतन रिटर्न मिल जाता है. कई बार ये इससे ज्यादा भी होता है. ऐसे में एसआईपी के जरिए पूंजी तैयार करके आप अपने बड़े सपनों को भी पूरा कर सकते हैं.
रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा
जब आप समय-समय पर निवेश करते हैं तो आपको रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है. यानी अगर मार्केट गिरावट में है और आपने पैसा निवेश किया तो आपको ज्यादा यूनिट्स अलॉट होंगे और मार्केट में तेजी आने पर अलॉट होने वाले यूनिट्स की संख्या कम होगी. मार्केट में उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी आपका खर्च औसत बना रहता है. यानी मार्केट में गिरावट आने पर भी आप लॉस में नहीं जाते. ऐसे में जब मार्केट में तेजी आती है, तो आपको अपने औसत निवेश पर ही बेहतर रिटर्न पाने का मौका मिलता है.
बचत की आदत
SIP के जरिए आप निश्चित समय के लिए बचत करना सीखते हैं, यानी आपको मासिक, तिमाही या छमाही पर जो भी पैसा निवेश करना है, उस रकम की बचत करने के बाद ही आप बाकी खर्च करते हैं. इस तरह आपको अनुशासित निवेश की आदत पड़ती है.