What are bonds, how to invest in various bonds: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश के जोखिम से बचना चाहते हैं, लेकिन गारंटीड रिटर्न वाले इन्वेस्टमेंट टूल्स में निवेश करना चाहते हैं तो बॉन्ड्स आपके लिए सही विकल्प हो सकते हैं. मार्केट में वॉलेटिलिटी के बीच बॉन्ड में निवेश को अपनाया जा सकता है. बॉन्ड्स को काफी सुरक्षित माना जाता है, खासकर सरकारी बॉन्ड्स. निवेशकों के लिए यह कितना बेहतर विकल्प है कि वो सरकारी बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा भी कई तरह के बॉन्ड्स होते हैं, जहां निवेश आपको बेहतर रिटर्न दे सकता है. आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में ये निवेश आपको रेगुलर और स्टेबल इनकम दे सकता है. हम आपको यहां बॉन्ड्स क्या होते हैं, कितने टाइप के होते हैं और आप उनमें कैसे निवेश कर सकते हैं, ये सारी चीजें बता रहे हैं.

बॉन्ड्स क्या होते हैं? (What are Bonds)

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बॉन्ड्स एक तरह से Debt Instruments होते हैं, जिसमें आप बॉन्ड जारी करने वाले को पैसे देते हैं और वो आपके पैसे को आगे निवेश करता है. बॉन्ड इशूअर आपको इस बात की गारंटी देता है कि आपका बॉन्ड टेन्योर खत्म होने के बाद वो आपको ये बढ़िया रिटर्न के साथ लौटाएगा. ये लो-रिस्क इन्वेस्टमेंट माने जाते हैं और इसे कोई भी पब्लिक कंपनी, बैंक NBFCs और यहां तक कि सरकार भी जारी कर सकती है. बॉन्ड्स में ब्याज दरों को कूपन रेट कहा जाता है.

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कई तरह के होते हैं बॉन्ड (Types of Bonds)

सरकारी प्रतिभूति बॉन्ड्स (Government Securities Bonds)

ये बॉन्ड्स केंद्र या राज्य सरकारें जारी करती हैं. ये गवर्न्मेंट सिक्योरिटी (G-Sec) के तहत आते हैं. यह 5 से 40 साल तक के होते हैं. इसमें छोटा निवेश भी किया जा सकता है. इसमें रिस्क बहुत कम होता है. इन्हें फिक्स्ड इंटरेस्ट पर जारी किया जाता है. इसमें ट्रेजरी बिल, कैश मैनेजमेंट बिल, डेटेड गवर्न्मेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड रेट बॉन्ड, फ्लोटिंग रेट बॉन्ड, जीरो कूपन बॉन्ड, कैपिटल इंडेक्स बॉन्ड, इंफ्लेशन इंडेक्स बॉन्ड्स, कॉल और पुट ऑप्शन वाले बॉन्ड, स्पेशल सिक्योरिटी, STRIPS (Separate Trading of Registered Interest and Principal of Securities), Sovereign Gold Bonds, 7.75% GOI Savings Bond और स्टेट डेवलपमेंट लोन्स (SDLs) आते हैं.

कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate bonds)

ये बॉन्ड किसी भी कंपनी की ओर से एक फिक्स्ड पीरियड के लिए जारी किए जाते हैं. इसमें पूरी अवधि में एक ही ब्याज दर पर रिटर्न मिलता है.

कन्वर्टिबल बॉन्ड (Convertible bonds)

इसमें आपको Debt और Equity फंड दोनों का फीचर मिलता है, लेकिन एक साथ नहीं. ये कन्वर्टिबल इसलिए होते हैं क्योंकि इन्हें कंपनी के शेयरों में भी बदला जा सकता है और बॉन्डहोल्डर्स शेयरहोल्डर्स बन सकते हैं. 

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जीरो कूपन बॉन्ड (Zero-Coupon Bonds)

इन बॉन्ड्स पर आपको इंटरेस्ट नहीं मिलता, लेकिन  ऐसे बॉन्ड डिस्काउंट पर जारी किए जाते हैं और इन्हें बॉन्ड होल्डर्स से निश्चित अवधि के बाद वापस खरीदा जाता है. इसमें आने वाला अंतर ही निवेशक की कमाई है. बॉन्ड पर मैच्योरिटी के पहले रेगुलर इंटरेस्ट रेट भी नहीं मिलता. उन्हें सालाना इसपर रिटर्न मिलता है, लेकिन ये उनकी जेब में तब आता है, जब बॉन्ड मैच्योर हो जाता है.

इन्फ्लेशन लिंक बॉन्ड (Inflation-Linked Bonds)

महंगाई के दौर में इस बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है. इन्हें आमतौर पर सरकार ही जारी करती है. महंगाई दर के मुताबिक, इसमें मूलधन और ब्याज की दरें ऊपर-नीचे होती रहती हैं.

आरबीआई बॉन्ड्स (RBI Bonds)

इसे केंद्रीय बैंक आरबीआई जारी करता है, ये फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड्स होते हैं. इंटरेस्ट रेट फ्लोटिंग बेसिस पर तय होता है. इसे हर छह महीने में संशोधित किया जाता है. बॉन्ड होल्डर को हर छह महीने पर रिटर्न मिलता है. 

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (Sovereign Gold Bonds)

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स या SGBs भी आरबीआई ही जारी करता है. यह फिजिकल गोल्ड का अल्टरनेटिव हैं. यह सरकारी प्रतिभूति हैं. ये एक तरीके से पेपर गोल्ड हैं, जिनमें आप ग्राम के आधार पर गोल्ड बॉन्ड में निवेश करते हैं.

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बॉन्ड में निवेश कैसे करते हैं? (How to invest in bonds)

बांड में निवेश करने के तीन तरीके हो सकते हैं. आप फाइनेंशियल ब्रोकर से संपर्क कर सकते हैं और शेयरों की तरह बांड खरीद सकते हैं. म्यूचुअल फंड या ETF (Exchange Traded Fund) के जरिए भी बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं. बॉन्ड म्यूचुअल फंड या ईटीएफ में आप टाइप नहीं तय करते, जो भी फंड प्रोवाइडर है, वो आपका पैसा निवेश करता है. इसके अलावा आप रिटेल डायरेक्ट स्कीम (Retail Direct Scheme) के जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश किया जा सकता है, जिसमें आप आरबीआई के साथ गिल्ट सिक्योरिटीज अकाउंट खुलवा सकते हैं. आप NSE (National Stock Exchange) की वेबसाइट या NSE App से भी बॉन्ड खरीद सकते हैं.

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