नए वेज कोड में Cost to Company (CTC) को लेकर चर्चा सबसे ज्यादा हुई. Wage Code कब से लागू किया जाएगा, अभी इसकी कोई डेडलाइन नहीं है. लेकिन, Labour Ministry की तरफ से तैयारियां हैं, अभी भी कुछ अड़चने हैं. ये फॉर्मूला लागू होने पर प्राइवेट नौकरी करने वाले की Take Home Salary, EPF और Gratuity में बड़ा बदलाव आएगा. न्यू वेज कोड में प्राइवेट नौकरीपेशा की Cash in Hand घटेगा, लेकिन बुढ़ापा सिक्‍योर हो जाएगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो मंथली सैलरी घटेगी लेकिन EPF में ज्‍यादा कटौती होगी और इससे रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड तैयार होगा.

कैसे EPF देगा आपको बड़ा फायदा?

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How to become Crorepati: मौजूदा व्यवस्था में देखें तो अगर किसी की मंथली सैलरी 50 हजार रुपए है और बेसिक पे 15 हजार रुपए होगी. तब रिटायरमेंट पर EPF की रकम 64,62,867 रुपए होगी.

 

New Wage Code में बेसिक सैलरी 25 हजार रुपए महीना हो जाएगी. तब रिटायरमेंट पर EPF की रकम 1,18,58,402 रुपए हो जाएगी. यहां सालाना इंक्रीमेंट 5 फीसदी लिया गया है, जिससे EPF का फंड और बढ़ जाएगा.

कॉस्‍ट टू कम्‍पनी (Cost to Company) क्‍या है?

किसी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारी पर किया जाने वाला खर्च CTC होता है. यह कर्मचारी का पूरा सैलरी पैकेज होता है. CTC में मंथली बेसिक पे, भत्‍ते, रीइम्‍बर्समेंट शामिल होता है. वहीं, सालाना आधार पर ग्रेच्‍युटी, एनुअल वैरिएबल पे, एनुअल बोनस जैसे प्रोडक्ट शामिल होते हैं. CTC की रकम कर्मचारी की टेक होम सैलरी के बराबर कभी नहीं होती. CTC में कई कंपोनेंट होते हैं इसलिए यह अलग होती है. CTC = ग्रॉस सैलरी + PF + ग्रेच्‍युटी

बेसिक सैलरी को समझें

बेसिक सैलरी किसी कर्मचारी की बेस इनकम होती है. सभी कर्मचारियों के लेवल के आधार पर यह फिक्‍स होती है. यह कर्मचारी के पद और जिस उद्योग में वह काम कर रहा है उसके अनुसार होती है.

ग्रॉस सैलरी को समझें

बिना टैक्‍स काटे जो बेसिक पे और भत्‍तों को जोड़कर सैलरी बनती उसे ग्रॉस सैलरी कहते हैं. इसमें बोनस, ओवर टाइम पे, हॉलिडे पे और अन्‍य मद के भत्‍ते शामिल होते हैं.

Gross Salary = बेसिक सैलरी+HRA+अन्‍य भत्‍ते

नेट सैलरी को समझें

नेट सैलरी को टेक होम सैलरी भी कहते हैं. टैक्‍स कटने के बाद जो सैलरी बनती है उसे नेट इनकम कहते हैं.

Net Salary = Basic Salary + HRA + भत्‍ते - आयकर - EPF - Professional Tax

सैलरी में कितने भत्ते होते हैं?

कंपनी कर्मचारी को नौकरी की एवज में भत्ते देती है. यह हर कंपनी में अलग-अलग हो सकता है.

> HRA : हाउस रेंट अलाउंस कर्मचारी को रेंट पर घर के एवज में दिया जाता है.

> LTA : LTA कर्मचारी को घरेलू यात्रा पर दिए जाने वाला खर्च है. इसमें फूडिंग, होटल किराया शामिल नहीं होता.

> Conveyance allowance: कनवेंस अलाउंस कर्मचारी को दफ्तर से घर जाने में आने वाले खर्च के एवज में दिया जाता है.

> Dearness allowance: DA जीविका से जुड़ा भत्ता है. यह महंगाई की एवज में दिया जाता है. इसके पात्र सरकारी कर्मचारी और पेंशनर होते हैं.

> अन्‍य भत्तों में स्‍पेशल अलाउंस, मेडिकल अलाउंस और प्रोत्‍साहन या इंसेटिव शामिल होता है.

रिइम्बर्समेंट का क्या है नियम?

EPF Calculator: जानकारों के मुताबिक, कई कंपनियों में कर्मचारी को इलाज, फोन खर्च, न्‍यूजपेपर बिल को रीइम्‍बर्स करने का प्रावधान होता है. यह रकम सैलरी से अलग मिलती है. लेकिन बिल देने पर ही. आयकर अधिनियम के तहत हर रीइम्‍बर्समेंट में एक सीमा तक ही कर छूट है.

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