Investment Tips: इन्वेस्टमेंट को लेकर कहा जाता है कि जिंदगी में इस काम को जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए. निवेश की शुरुआत जितनी जल्दी करेंगे, रिटर्न उतना ज्यादा मिलेगा. जी बिजनेस के कार्यक्रम मनी गुरु में  वाइजइन्वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हेमंत रुस्तगी ने कहा कि कम्पाउंडिंग की महिमा अपरंपार होती है.  कम्पाउंडिंग का पावर इतना ज्यादा है कि केवल 5 साल पहले निवेश शुरू करने पर आपका रिटर्न दो गुना हो जाता है. अगर आपको वेल्थ क्रिएट करना है तो यह इसका एकमात्र फॉर्मूला है. जितनी जल्द निवेश की शुरुआत करेंगे, मुनाफे की बरसात उतनी ज्यादा होगी. आइए पहले इसे उदाहरण से समझते हैं फिर निवेश और वेल्थ क्रिएशन के अन्य पहलुओं को समझते हैं.

पावर ऑफ कम्पाउंडिंग

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मान लीजिए कि 'A' की उम्र 30 साल है और वह 10 हजार रुपए की SIP शुरू करता है. औसत रिटर्न 12 फीसदी है. ऐसे में जब वह 50 साल का होगा तो उसे कुल 1 करोड़ की राशि मिलेगी. इस दौरान निवेश की कुल राशि 24 लाख होगी और रिटर्न 76 लाख के करीब मिलेगा. वहीं, 'A' अगर 35 साल की उम्र में निवेश की शुरुआत करता है तो 50 साल की उम्र में उसे कुल 50 लाख रुपए मिलेंगे. निवेश की कुल राशि 18 लाख रुपए होगी और रिटर्न 32 लाख रुपए होगी. अगर 30 की जगह 'A' ने 25 साल की उम्र में निवेश की शुरुआत की होती तो 50 साल के उम्र में उसे कुल 1.9 करोड़ रुपए मिलेंगे. उसके निवेश की कुल राशि 30 लाख रुपए होती और रिटर्न 1.6 करोड़ होता. इस उदाहरण से साफ पता चलता है कि निवेश के लिए टाइमिंग कितना जरूरी होता है.

असेट एलोकेशन का संतुलन जरूरी

एक्सपर्ट ने कहा कि निवेश की तैयारी कर रहे हैं तो टैक्स सेविंग को ध्यान में रखना जरूरी होता है. इसके अलावा असेट एलोकेशन भी अहम है. अगर आपके पोर्टफोलियो में असेट क्लास का संतुलन बना है तो रिस्क रिवॉर्ड घट जाता है. ऐसे में अलग-अलग असेट क्लास में संतुलन बनाने का तरीका ये है कि निवेशकों को इक्विटी, डेट, रियल एस्टेट, कमोडिटी में संतुलित निवेश करना चाहिए.

सही असेट का सलेक्शन और एलोकेशन जरूरी

अगर एक असेट क्लास कमजोर होगा तो उसे दूसरा संभाल लेगा. इस तरह नेट रिटर्न पॉजिटिव बना रहेगा. सिर्फ एक असेट क्लास में निवेश से जोखिम ज्यादा हो जाता है. असेट क्लास का सलेक्शन और एलोकेशन निवेश अवधि और जोखिम क्षमता के अनुसार करना जरूरी है. भारतीय बाजार के अलावा इंटरनेशनल निवेश भी करें.