Investment Tips: शेयर बाजार एक ऐसा असेट क्लास है, जिसमें आपके निवेश को कई गुणा करने की क्षमता होती है. अगर आप बच्चों के हायर एजुकेशन के समय मोटे फंड की उम्मीद कर रहे हैं या फिर भविष्य में घर या कार खरीदने की योजना बना रहे हैं तो शेयर मार्केट निवेश का शानदार विकल्प है. ज्यादातर निवेशक उत्साह के साथ शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत तो करते हैं, लेकिन वे कम्पाउंडिंग का उचित लाभ नहीं उठा पाते हैं. इसके दो प्रमुख कारण हैं. पहला सही ज्ञान का ना होना और दूसरा अनुभव का अभाव. विडंबना ये है कि इन गलतियों को बार-बार दोहराया भी जाता है.

देखते-देखते लखपति बन सकते हैं

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एडलवाइज वेल्थ मैनेजमेंट (Edelweiss Wealth Management) के पर्सनल वेल्थ प्रमुख और वाइस प्रेसिडेंट राहुल जैन बता रहे हैं कि अगर शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करते हैं तो किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. अगर इन टिप्स को फॉलो करेंगे तो आपको कम्पाउंडिंग का उचित लाभ मिलेगा और आप देखते-देखते लखपति बन जाएंगे.

पहले हासिल करें ज्ञान फिर शुरू करें निवेश

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सही ज्ञान का होना जरूरी है. अगर आपको कंपनी के बिजनेस मॉडल, कॉम्पिटिशन और फाइनेंशियल्स के बारे में समझ नहीं है तो निवेश से बचना चाहिए. शुरू में इन मूल बातों को समझना जरूरी है. बाद में यह भी जानना होगा कि स्टॉक की वैल्युएशन ठीक है या नहीं. कंपनी के फाइनेंशियल को लेकर तमाम जानकारी इकट्ठा करना और फिर इसका स्टडी करना आसान नहीं होता है. ब्रोकरेज हाउस की तरफ से जो डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाती है उसे डिकोड करना बहुत कठिन होता है. इसके लिए खास स्किल और पढ़ाई की जरूरत होती है. यही वजह है कि सीधा शेयर बाजार में निवेश करने की जगह पर म्यूचुअल फंड की मदद से बाजार में निवेश करना बेहतर माना जाता है. असेट मैनेजमेंट कंपनियों में प्रफेशनल्स आपके पैसे को शेयर बाजार में निवेश करते हैं. ये उनका स्किल है और पेशा भी होता है. निवेशकों को डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए.

भीड़ चाल से बचेंगे तो फायदे में रहेंगे

लेजेंड इन्वेस्टर वॉरेन बफेट ने कहा था कि जब दूसरे निवेशक अग्रेसिव हों तो डरना चाहिए और जब दूसरे निवेशक डरे हुए हों तो अग्रेशन यानी भूख बढ़ानी चाहिए. शेयर बाजार के रिटेल निवेशकों की सबसे बड़ी परेशानी ये है कि वे इस कहावत के विपरीत काम करते हैं. ज्यादातर निवेशक फॉलोअर होते हैं. अगर बाजार में बिकवाली है तो बिकवाली करने लग जाते हैं, अगर खरीदारी की जा रही है तो बस खरीदना शुरू कर देते हैं. यह स्ट्रैटिजी बहुत कम सफल होती है क्योंकि खरीदारी रोककर कब प्रॉफिट कमाना है और बिकवाली छोड़कर कब खरीदारी शुरू करनी है, इसकी समझ के लिए अनुभव और ज्ञान बहुत जरूरी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि जब कोरोना का आगमन हुआ तो रिटेल निवेशकों की बाढ़ आ गई. वित्त वर्ष 2021 में कुल 14.2 मिलियन यानी 1.42 करोड़ डीमैट अकाउंट खोले गए.

सोशल प्लैटफॉर्म्स पर बाजार के पंडितों को फॉलो करने से बचें

सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज और रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के कारण आजकल हर कोई बाजार का एक्सपर्ट बन बैठा है. बाजार का आकलन और मूल्यांकन करना आसान हो गया है. हर कोई सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर मार्केट गुरु बन गया है. यही वजह है कि रिटेल निवेशक हर छोटी-बड़ी खबरों पर रिएक्ट करते हैं और एक्शन में आ जाते हैं. किन खबरों पर एक्शन लेना है, वे समझ नहीं पाते हैं. इसलिए कहा जाता है कि शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करें, साथ ही धैर्य और अनुशासन का होना सबसे जरूरी है. निवेशकों को खरीदने से पहले 100 बार विचार करना चाहिए, लेकिन जब खरीद लिया तो फिर होल्ड करना चाहिए. खरीदने के तुरंत बाद एक्शन में आना चुतराई नहीं हो सकती हैं. अगर बाय एंड होल्ड की स्ट्रैटिजी अपनाएंगे तो हर हाल में मुनाफा बनेगा.

सेक्टर और स्टॉक्स डायवर्सिफिकेशन का रखें विशेष ध्यान

रिटेल निवेशकों में ऐसा देखा गया है कि जब वे किसी खास सेक्टर या स्टॉक में मुनाफा कमा लेते हैं तो उनका फोकस लिमिटेड हो जाता है. वे अपने कंफर्ट जोन में आ जाते हैं और दूसरे सेक्टर्स और स्टॉक्स में क्या हो रहा है, उस एक्शन को मिस कर जाते हैं. जब तक पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई नहीं रखेंग, नुकसान की संभावना बनी रहेगी. इस बात की पूरी संभावना है कि आपकी सारी कमाई एकबार में छीन लिया जाए. निवेशकों को हर सेक्टर के लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप, तीनों पर फोकस करना चाहिए. स्मॉलकैप और मिडकैप से रिटर्न मिलेगा तो लार्जकैप से पोर्टफोलियो को स्टैबिलिटी मिलेगी.

गलतियों से सीखें नहीं तो बाजार की फीस बहुत ज्यादा है

शेयर बाजार में गलती की गुंजाइश नहीं है. एक छोटी से गलती की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. ऐसे में गलतियों से बचें. अगर कोई गलती हो जाए तो उसका गंभीरता से मूल्यांकन करें और उसे कभी नहीं दोहराएं. निवेशकों को ना सिर्फ अपनी बल्कि दूसरों की गलतियों से भी सीखना चाहिए. अगर इस बात की गंभीरता को नहीं समझेंगे तो याद रखें कि शेयर बाजार अपने आप में एक शिक्षक है जिसकी फीस बहुत ज्यादा है. संभव है कि इस फीस को चुकाने के बाद आप बाजार की तरफ देखने में भी झिझक महसूस करें.