Insurance Policy: इंश्योरेंस पॉलिसी ऐसी चीज है जोकि आपकी जरूरतों के हिसाब से फिट न हो तो जेब पर बोझ बन जाती है. लेकिन आप जितना सोच सकते हैं, गलत पॉलिसी खरीदना उससे कहीं ज्यादा कॉमन है. अकसर लोग या तो समझ की कमी, या फिर दबाव में आकर ऐसी पॉलिसी ले लेते हैं, जिससे दरअसल, उनका ज्यादा कोई फायदा नहीं होता, लेकिन अगर आपके साथ भी ऐसा है तो अब आपके पास ऑप्शन क्या है? अब क्या कर सकते हैं? क्या पॉलिसी छोड़ सकते हैं? कैंसल कर सकते हैं? क्या इसमें फायदा है? खराब इंश्योरेंस पॉलिसी (bad insurance policy) से पीछा छुड़ाना थोड़ा महंगा पड़ सकता है, इसलिए आपको अकसर सलाह दी जाती है कि कोई भी पॉलिसी लेने से पहले आपको उसे अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए, खैर, अब जब ऐसा हो गया है तो क्या करें. पॉलिसी छोड़ने में आपको अपने निवेश का कुछ हिस्सा (या कुछ मामलों में पूरा) छोड़ना पड़ सकता है. या नुकसान वाला सौदा भी हो सकता है. आइए देखते हैं कि आप अपनी सिचुएशन के हिसाब से क्या ऑप्शन चुन सकते हैं.

अगर पॉलिसी को चलने दें तो?

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सबसे पहले तो ये सोचिए कि आपके लिए पॉलिसी को जारी रखना ज्यादा फायदे वाली बात होगी या फिर इसे बंद कराना. इसके पीछे कई फैक्टर्स हैं. पहला अगर यह मैच्योरिटी (matured policy) के करीब है, तो इसे पूरा करने में ही भलाई है. आखिरी के 2-3 सालों के लिए तो कोई मतलब ही नहीं है कि आप पॉलिसी को बंद करवाएं. इसे जारी रखने से आपको लाइफ कवर तो मिलेगा ही, दूसरा टैक्स बेनेफिट भी मिलेंगे. वहीं, अगर आप कैंसल कराने का फैसला लेते हैं तो एक बार ये जरूर देख लें कि आप इंश्योर्ड हैं या नहीं. अगर आप तुरंत कोई दूसरी इंश्योरेंस पॉलिसी लेना चाहें तो आपको क्या कॉस्ट पड़ेगी, वगैरह-वगैरह.

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पॉलिसी को लैप्स हो जाने दें (Let the policy lapse)

पहला काम तो आप ये कर सकते हैं कि पॉलिसी का प्रीमियम (policy premium) भरना बंद कर दें और इसे अपने आप खत्म हो जाने दें. लेकिन इसमें आपको पॉलिसी से तो छुटकारा मिलेगा, लेकिन अगर पॉलिसी शुरू हुए तीन साल नहीं हुए हैं तो कई नुकसान भी होंगे. आपकी बीमा कंपनी पहले दो सालों में भरे गए प्रीमियम का पैसा रख लेगी और पॉलिसी बंद हो जाएगी. पहले दो सालों में जो टैक्स बेनेफिट मिला होगा, वो भी चला जाएगा.

पॉलिसी को सरेंडर कर दें (Surrender the policy)

पॉलिसी शुरू होने के तीन सालों बाद इसपर सरेंडर वैल्यू बनता है. तीन सालों में आपके प्रीमियम से एक ठीक-ठाक कॉर्पस तैयार हो जाता है, जिसमें से कुछ प्रतिशत हिस्सा आप सरेंडर करके बाकी पैसा निकाल सकते हैं और इसे बंद करवा सकते हैं. हालांकि, सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम का लगभग 30% हो सकता है, यानि का आपने जितना पैसा जमा किया है उसका 30 प्रतिशत कंपनी ले लेगी, तो इस तरीके से आपको अपना पूरा पैसा नहीं मिलता.

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इसे पेड-अप पॉलिसी में बदल लीजिए (Convert into a paid-up policy)

जब आप अपनी Insurance Policy बंद करते हैं, तो आपका लाइफ कवर भी चला जाता है, लेकिन एक ऑप्शन है, जहां आपको प्रीमियम भी नहीं भरना होता है, वहीं आपको लाइफ कवर भी मिल जाता है. आप अपनी पॉलिसी को paid-up policy में बदल सकते हैं. अगर आपने तीन सालों तक प्रीमियम भरा हो तो आप उस कॉर्पस को इस पॉलिसी में बदल सकते हैं. कंपनी आपको आपके पैसे वापस करने की बजाय इसे आपके लाइफ कवर में डाल देगी. हर साल इसके कॉर्पस से mortality charges कटता है. प्लान के मैच्योरिटी पर जो कॉर्पस घटा था वो और जो बोनस बना है, वो पॉलिसीहोल्डर को मिल जाता है.

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