आज के समय में हर कोई परिवार को सुरक्षित करने के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस और लाइफ इंश्‍योरेंस वगैरह लेता है. कई बार पॉलिसी को क्‍लेम करते समय कंपनी की तरफ से इंश्‍योरेंस की राशि समय पर नहीं मिल पाती. बार-बार संपर्क करने पर भी संतोषजनक उत्‍तर नहीं मिलता. ऐसे में पॉलिसी होल्‍डर्स परेशान हो जाते हैं और उन्‍हें समझ नहीं आता कि वे क्‍या करें और कहां मामले की शिकायत करें. अगर आपके साथ ऐसा कुछ हो, तो परेशान होने की जरूरत नहीं. अपने हक की लड़ाई के लिए आप इस मामले की कई जगहों पर शिकायत कर सकते हैं. यहां जानिए इस स्थिति में आपको क्‍या करना चाहिए.

शिकायत निवारण अधिकारी से करें शिकायत

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हर बीमा कंपनी का एक शिकायत निवारण अधिकारी होता है. पहले आपको मामले की शिकायत उस अधिकारी से करनी चाहिए, ताकि कंपनी की ओर से शिकायत न मिलने का कोई ऑब्‍जेक्‍शन न उठाया जा सके. आप बीमा कंपनी की निकटतम ब्रांच में जाकर शिकायत कर सकते हैं या फिर मेल के जरिए भी शिकायत कर सकते हैं. ज्‍यादातर मामलों में शिकायत का निवारण कंपनी के स्‍तर पर ही हो जाता है, लेकिन अगर फिर भी सुनवाई न हो, तो आपके पास दूसरे रास्‍ते भी मौजूद हैं. 

IRDAI तक पहुंचाएं मामला

बीमा कंपनी से शिकायत करने के बाद 15 दिन के अंदर समस्‍या का समाधान किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसा न होने पर या उनके समाधान से संतुष्‍ट न होने पर आप आप IRDAI के ऑनलाइन पोर्टल पर IGMS का इस्‍तेमाल करके या complaints@irdai.gov.in पर मेल करके अपनी शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा इरडा के टोलफ्री नंबर पर भी कॉल करके शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

आखिर में बीमा लोकपाल से‍ शिकायत

अगर आपकी समस्‍या का समाधान इरडा में भी नहीं हो पाता है या आप समाधान से संतुष्‍ट नहीं हैं, तो आपके पास बीमा लोकपाल से भी शिकायत करने का अधिकार है. देश में अलग-अलग स्थानों पर कुल 17 बीमा लोकपाल हैं. आप जिस जगह रह रहे हैं, वहां के बीमा लोकपाल से बीमा कंपनी की शिकायत कर सकते हैं. कार्यालय में जाकर शिकायत करने पर आपको फॉर्म P-II और फॉर्म P-III भरना होगा. बीमा लोकपाल कहां बैठता है, इसकी जानकारी आपकी बीमा कंपनी की शाखा से या फिर वेबसाइट से ले सकते हैं. इसके अलावा आप मेल के जरिए शिकायत कर सकते हैं. ईमेल के बाद आपको शिकायत की हार्ड कॉपी भी संबन्धित दस्‍तावेजों के साथ कार्यालय में भेजनी होगी.