Cyber Insurance: साइबर क्राम के मामले रोज-रोज देखने, सुनने को मिल रहे हैं. टेक्‍नोलॉजी जितनी एडवांस हो रही, सेफ्टी स्‍टैंडर्ड भी मजबूत हो रहे हैं. लेकिन, फिर भी साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि साइबर स्‍पेस में एक ऐसा कवर हो, जो हमें अचानक आने वाले फाइनेंशियल रिस्‍क से प्रोटेक्‍ट करे. दरअसल, साइबर इंश्‍योरेंस ऐसा इन्‍स्‍ट्रूमेंट्स है जो किसी भी डेटा उल्लंघन, रैंसमवेयर हमले, जांच, मुकदमों और यहां तक कि जबरन वसूली के भुगतान की स्थिति में कंपनियों के फाइनेंशियल रिस्‍क को कम करता है. तेजी से बदलती डिजिटल दुनिया में, ज्‍यादातर बिजनेसेस के साथ-साथ व्यक्तियों के लिए भी साइबर सिक्‍युरिटी एक प्राथमिकता है. एक्‍सपर्ट का मानना है कि न केवल व्यक्तियों बल्कि कंपनियों को भी साइबर हमलों से खुद को बचाने की जरूरत है. साइबर इंश्योरेंस प्रभावी रूप से कंपिनयों की साइबर रिस्‍क से प्रोटेक्‍ट करता है.

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पॉलिसी बाजार डॉट कॉम की प्रैक्टिस लीडर (लायबिलिटी एंड फाइनेंशियल रिस्‍क) ईवा साइवाल का कहना है, सरकार ने डिजिटल डाटा की सेफ्टी के महत्व को स्वीकार किया है. इसको लेकर हाल ही में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का ड्रॉफ्ट जारी किया गया है. यह बिल डिजिटल पर्सनल डेटा की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने के प्रावधान हैं. डाटा उल्लंघनों की बढ़ती संख्या के साथ, यह समझना जरूरी है कि न केवल व्यक्तियों बल्कि कंपनियों को भी इन साइबर हमलों से खुद को बचाने की जरूरत है. साइबर इंश्योरेंस प्रभावी रूप से कंपनियों के साइबर रिस्‍क से सेफ्टी कवर देता है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जून 2022 तक भारत में 6.7 लाख से ज्यादा साइबर सेफ्टी के मामले दिए किए गए. 

क्या है साइबर इंश्योरेंस?

ईवा साइवाल का कहना है, यह एक इंश्योरेंस पॉलिसी है जो किसी बिजनेस या इंडिविजुअल के लिए फाइनेंशियल रिस्‍क को कम करती है. इसमें डाटा उल्लंघन, रैनसमवेयर हमले, या अन्य साइबर नुकसान और वसूली से संबंधित लागत, मुकदमे, कम्‍प्‍लायंस रेगुलेटरी पेनल्‍टी, फोरेंसिक लागत, और जबरन वसूली भुगतान और जांच की लागतों के खिलाफ भी कवर किया जाता है. भारत में साइबर इंश्योरेंस तेजी से पॉपुलर हो रहा है और कंपनियां साइबर क्राइम के खिलाफ खुद को इंश्योर कराने का ऑप्‍शन चुन रही हैं. साइबर सुरक्षा पर वैल्‍यू टैग पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहा है क्योंकि साइबर क्राइम भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं.

साइबर इंश्‍योरेंस में क्या-क्या होता है कवर

ईवा साइवाल के मुताबिक, साइबर इंश्योरेंस कवरेज दो तरह के हैं. थर्ड पार्टी लाइबिलिटी कवर और फर्स्ट-पार्टी कवर. किसी भी कंपनी का डाटा हैक होने पर फर्स्ट-पार्टी कवर सुरक्षा मिलती है. वहीं दूसरी तरफ किसी कस्‍टमर, सेलर पार्टनर या किसी थर्ड पार्टी डाटा भंग की मंजूरी देने के लिए कंपनी पर मुकदमा करता है, तो ऐसे मामलों में थर्ड पार्टी कवर मिलता है. एक कॉम्प्रिहेंसिव साइबर इंश्योरंस को डाटा उल्लंघनों की लागत को कम करने में मदद के लिए इन दोनों कवरेज को ऑफर करना चाहिए. पिछले कुछ सालों में, बीमा कंपनियों ने डिजिटल स्पेस में साइबर हमलों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक प्रोडक्ट के रूप में साइबर इंश्योरेंस लॉन्च किया है. इस तरह के इंश्योरेंस कुछ इंडस्‍ट्री के लिए और उन लोगों के लिए जरूरी होता जा रहा है, जो इस तरह के हमलों के बाद संभावित फाइनेंशयल नुकसान से सुरक्षित रहना चाहते हैं. 

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क्यों जरूरी है साइबर इंश्योरेंस? 

एक्‍सपर्ट का कहना है, साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी इसलिए जरूरी है क्योंकि जो इसे लागू नहीं करते हैं उन्हें मॉनेटरी लॉस और अन्य कानूनी प्रभाव उठाने पड़ सकते हैं. जैसे-जैसे साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं,  साइबर इंश्योरेंस की जरूरत भी लगातार बढ़ती जा रही है. अगर आपके पास सही साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं है और आप साइबर क्राइम के शिकार हैं, तो उन उल्लंघनों के लिए आपकी कंपनी जांच कर रहे रेगुलेटर्स या कानून प्रवर्तन एजेंसियों से नुकसान या जुर्माना के लिए लायबल हो सकती है.