Independence Day 2022: हाउसवाइफ को क्यों लेना चाहिए इंडिपेंडेंट टर्म प्लान? एक्सपर्ट से जानिए डीटेल
Independence Day 2022 Special: हाउसवाइफ के लिए स्टैंडअलोन टर्म प्लान आने के साथ काफी बदलाव आया है. इंश्योरेंस की बढ़ी हुई पहुंच के साथ, हाउसवाइफ अपने आश्रितों के लिए अपने जीवनसाथी पर निर्भर हुए बिना अपना सेफ्टी नेट उपलब्ध करा सकती है.
Independence Day 2022 Special: हम सभी के साथ जीवन की अनिश्चितताएं जुड़ी होती हैं. बावजूद इसके सभी के पास अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के एकसमान साधन नहीं थे. जहां तक बात हम हाउसवाइफ की करें, तो लंबे समय से उनके कंट्रीब्यूशन को बहुत कम करके आंका गया है. बदलते समय के साथ इसमें भी बदलाव आ रहा है. लेकिन अभी बहुत कुछ आगे बदलाव जरूरी है. हाउसवाइफ को फ्यूचर को सुरक्षित करने और फाइनेंशियल सिक्युरिटी सुनिश्चित करने के लिए उनके पास इंडिपेंडेंट टर्म इंश्योरेंस पालिसी (independent term insurance plan) होना जरूरी है. एक्सपर्ट मानते हैं, हाउसवाइफ को लेकर जब भी हम फाइनेंशियल फ्रीडम की बात करते हैं, तो उसमें फाइनेंशियल सिक्युरिटी भी सबसे अहम है.
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के बिजनेस हेड- टर्म लाइफ इंश्ययोरेंस, सज्जा प्रवीण चौधरी का कहना है, हाउसवाइफ के लिए स्टैंडअलोन टर्म प्लान आने के साथ काफी बदलाव आया है. मैक्स लाइफ, टाटा एआईए, इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस और एचडीएफसी लाइफ जैसी बीमा कंपनियां खासतौर से महिलाओं के लिए ये प्रोडक्ट ऑफर कर रही हैं. इंश्योरेंस की बढ़ी हुई पहुंच के साथ, हाउसवाइफ अपने आश्रितों के लिए अपने जीवनसाथी पर निर्भर हुए बिना अपना सेफ्टी नेट उपलब्ध करा सकती है.
खत्म होगी निर्भरता
चौधरी का कहना है, फाइनेंशियल टूल्स की जानकारी होने के बाद भी, महिलाएं अक्सर अपने फाइनेंशियल प्लानिंग की जिम्मेदारी खुद नहीं लेती हैं. महिला इन्वेस्टर नेटवर्क की ओर से हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि करीब 48% महिलाएं निवेश के फैसलों के लिए परिवार में पुरुषों पर निर्भर हैं. हाउसवाइफ के मामले में यह निर्भरता ज्यादा होती है. टर्म इंश्योरेंस एक हाउसवाइफ के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि परिवार के किसी भी कमाने वाले सदस्य के लिए. हालांकि, अब तक, वे इसे खरीदने के लिए कुछ शर्तों के साथ अपने जीवनसाथी पर निर्भर थीं.
इसके अलावा, उन्हें बीमा राशि का केवल 50% ही कवर दिया जाता था और इनकम मल्टीप्लायर पति या पत्नी की सालाना आय पर निर्भर करता था. मान लीजिए, अगर सालाना आय 5 लाख रुपये थी और इनकम मल्टीप्लायर सालाना आय का 15 गुना है, तो पति 75 लाख रुपये के कवर के लिए पात्र होगा. अब इसमें से अगर हम मान लें कि वह 50 लाख रुपये का कवर लेता है, तो पत्नी के पास 25 लाख रुपये का कवर रह जाता है. और अगर हम मान लें कि पति 75 लाख रुपये का कवर लेता है, तो पत्नी किसी भी कवर के लिए पात्र नहीं होगी. पॉलिसी के नियम मुख्य रूप से कमाई करने वाले पति या पत्नी की आय और कवर की पसंद द्वारा तय किए गए थे. इसलिए, भले ही हाउसवाइफ की कोई पॉलिसी हो, उसके कंट्रोल में बहुत कम था. इस योजना से इस निर्भरता को समाप्त कर दिया गया है.
सभी के लिए आर्थिक समानता
चौधरी के मुताबिक, आज इंडिपेंडेंट पॉलिसी 18-50 वर्ष की आयु वर्ग में हाउसवाइफ के लिए उपलब्ध है. इसकी दो बुनियादी शर्तें हैं जिन्हें पॉलिसीधारक को पूरा करना होगा- सालाना घरेलू आय कम से कम 5 लाख रुपये होनी चाहिए, और हाउसवाइस ग्रेजुएट होनी चाहिए. कुछ मामलों में हाउसवाइफ का 10वीं या 12वीं पास होना भी जरूरी है.
चौधरी कहते हैं, एक हाउसवाइफ का कंट्रीब्यूशन स्पष्ट नहीं है. हालांकि, परिवार के वित्तीय बुनियादी ढांचे के एक महत्वपूर्ण हिस्से में उसका बहुत बड़ा योगदान है. इसलिए, यह जरूरी है की टर्म इंश्योरेंस की पहुंच उन तक सही रूप से हो. भारत में कुल जनसंख्या में महिलाओं की संख्या 49% है, हालांकि, उनमें से केवल 16-20% ही वर्कफोर्स का हिस्सा हैं. हाउसवाइफ बिना सैलरी काम और देखभाल के जरिए अर्थव्यवस्था का एक अहम पिलर भी बनाती हैं.