इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने बकाया टैक्स (Outstanding Tax) के मुकाबले रिफंड एडजस्टमेंट करने के बारे में करदाताओं (Taxpayers) को राहत दी है. टैक्स अधिकारियों को इस तरह के मामलों में अब 21 दिन में फैसला करना होगा. इस फैसले से मुकदमेबाजी में कमी होगी. डायरेक्टोरेट ऑफ इनकम टैक्स (सिस्टम) ने कहा कि एसेसिंग ऑफिसर्स को फैसला करने के लिए दी गई 30 दिन की समयसीमा को घटाकर 21 दिन कर दिया गया है.

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एक बयान के मुताबिक, अगर टैक्सपेयर्स एडजस्टमेंट के लिए सहमत नहीं है या आंशिक रूप से सहमत है, तो मामले को केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (CPC) द्वारा तुरंत एसेसिंग अधिकारी को भेजा जाएगा, जो 21 दिन के भीतर सीपीसी को अपनी राय देंगे कि समायोजन किया जा सकता है या नहीं.

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21 दिनों में देना होगा शिकायत का जवाब

एएमआरजी एंड एसोसिएट के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि रिफंड एडजस्टमेंट से जुड़े कई मामलों में CPC ने पाया कि मांग का गलत वर्गीकरण या एसेसिंग अधिकारी की प्रतिक्रिया न मिलने के चलते रिफंड का गलत एडजस्टमेंट हुआ. ऐसे में अनावश्यक मुकदमेबाजी हुई. उन्होंने कहा कि ताजा निर्देश के बाद टैक्सपेयर्स की शिकायतों का जवाब 21 दिन में देना होगा.

DIT (सिस्टम) ने फील्ड फॉर्मेशन को दिए निर्देश में कहा, कुछ मामलों में, धारा 245 के तहत सूचना जारी करने के परिणामस्वरूप एसेसिज ने डिमांड पोर्टल पर जवाब दिया था कि मांगें गलत हैं. ऐसे गलत डिमांड को एसेसिंग अधिकारी/TAT/हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई.

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यह बताया गया है कि इस तरह की मांग को 'correct and collectible' के रूप में गलत वर्गीकरण या एसेसीज की प्रतिक्रिया पर एसेसिंग अधिकारियों द्वारा प्रतिक्रिया प्रदान नहीं करने के चलते CPC द्वारा ऐसी मांगों के खिलाफ रिफंड का गलत एडजस्टमेंट किया गया है, जिससे शिकायतें और मुकदमेबाजी हुई है.

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