आय असमानता में आई 74% की गिरावट, Direct Tax Collection पिछले 14 सालों में सबसे ज्यादा
पांच लाख रुपये तक सालाना कमाने वालों की आय असमानता (Income Inequality) में वित्त वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच गिरावट दर्ज हुई है. जो साफ बताता है कि सरकार के निरंतर सार्थक प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
पांच लाख रुपये तक सालाना कमाने वालों की आय असमानता (Income Inequality) में वित्त वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच गिरावट दर्ज हुई है. जो साफ बताता है कि सरकार के निरंतर सार्थक प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और निम्न आय वालों की आमदनी में इजाफा हुआ है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच सालाना 5 लाख रुपये तक कमाई करने वालों की आय असमानता कवरेज में 74.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार के निरंतर प्रयास पिरामिड के निचले हिस्से तक पहुंच रहे हैं.
निष्कर्षों से पता चलता है कि, "आय असमानता में कमी, निम्न आय वाले लोगों की आय के साथ-साथ उनकी आय में भी वृद्धि को दर्शाती है. 43.6 प्रतिशत व्यक्तिगत आईटीआर दाखिल कर्ता, जो कि वित्त वर्ष 2014 में 4 लाख रुपये से कम आय वर्ग से संबंधित थे, निम्नतम आय वर्ग को छोड़कर ऊपर की ओर चले गए हैं."
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 4 लाख रुपये से कम आय वाले निम्नतम आय वर्ग की सकल आय का 26.1 प्रतिशत भी बीच-बीच में ऊपर की ओर शिफ्ट हुआ है. 2018 में महिला श्रम बल 23.3 प्रतिशत से 2024 में 41.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. महिलाओं की यह भागीदारी झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, बिहार और गुजरात से सबसे अधिक रही.
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की प्रगतिशील कर व्यवस्था ने आकलन वर्ष (एवाई) 2024 में प्रत्यक्ष कर योगदान को कुल कर राजस्व के 56.7 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है. एसबीआई के अध्ययन में कहा गया है कि वित्त वर्ष 21 से व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) संग्रह की वृद्धि दर कॉर्पोरेट कर संग्रह की तुलना में तेजी से बढ़ रही है, जिसमें सीआईटी की 3 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले पीआईटी में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2024 के दौरान दाखिल किए गए आईटीआर में जबरदस्त उछाल आया, जो वर्ष 2022 में 7.3 करोड़ के मुकाबले 8.6 करोड़ पर पहुंच गया.
कुल 6.89 करोड़ या इनमें से 79 प्रतिशत रिटर्न नियत तिथि पर या उससे पहले दाखिल किए गए, जिसके परिणामस्वरूप नियत तिथि (जुर्माने के साथ) के बाद दाखिल किए गए रिटर्न का हिस्सा वर्ष 20 में 60 प्रतिशत के उच्च स्तर से घटकर वर्ष 2024 में मात्र 21 प्रतिशत रह गया. एसबीआई के अध्ययन में कहा गया है, "हमारा मानना है कि मार्च 2025 के अंत तक आकलन वर्ष 2025 के लिए दाखिल किए जाने वाले आईटीआर की कुल संख्या 9 करोड़ से अधिक हो सकती है."