ITR Filing 2023: इनकम टैक्स रिटर्न भरे जा रहे हैं. बहुत से टैक्सपेयर्स या तो CAs या फाइनेंस एक्सपर्ट्स से आईटीआर भरने के लिए सहारा लेते हैं, या फिर खुद ही ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भर लेते हैं. लेकिन Income Tax Return को लेकर कुछ गलतियां हैं जो ध्यान न रखा जाए तो टैक्सपेयर्स कर बैठते हैं. ऐसी बहुत सी कॉमन गलतियां हैं जिनपर हमारा ध्यान नहीं जाता, या फिर हमें पता ही नहीं होता है कि हम गलती कर रहे हैं. ऐसी ही कुछ गलतियां हम आपको बता रहे हैं, ताकि आप इनसे दूर रहें. 

1. गलत फॉर्म पर आईटीआर फाइल करना

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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के लिए कई तरह के आईटीआर फॉर्म जारी करता है. अलग-अलग कैटेगरी के टैक्सपेयर्स को अलग-अलग फॉर्म भरना होता है. ITR-1 से लेकर ITR-7 तक फॉर्म होते हैं. अगर आप गलत फॉर्म भरते हैं तो आपका आईटीआर डिफेक्टिव या इनवैलिड होता है. कौन सा फॉर्म सही है, ये जानने के लिए इसपर क्लिक करें.

2. अपनी डीटेल्स गलत देना

आईटीआर फाइल करते वक्त आपको अपनी पर्सनल डीटेल्स देनी होती हैं, जिसमें आपका PAN, Aadhaar, Bank Account Details, ईमेल आईडी, कॉन्टैक्ट नंबर वगैरह होता है. ये डीटेल्स आपको बिल्कुल ध्यान से भरनी चाहिए. अकसर इन्हें भरने में हम गलती कर जाते हैं और नुकसान उठाते हैं. बैंक अकाउंट की डीटेल्स सही देनी बहुत जरूरी हैं, वर्ना आपका टैक्स रिफंड रुक सकता है.

3. ब्याज की कमाई का जिक्र नहीं करना

ITR Form में आपसे पूछा जाता है कि क्या आपकी दूसरे स्रोतों से भी आय आती है, लेकिन  ‘Income from other sources' में हम ये नहीं बताते कि हमें सेविंग्स अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट पर ब्याज से कितनी कमाई हुई है. सेविंग्स अकाउंट पर 10,000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री होता है. सीनियर सिटीजंस के लिए ये 50,000 है. एफडी पर भी टैक्स के नियम हैं. आपको एफडी पर ब्याज की जानकारी भी देनी होती है.

4. टैक्स के दायरे से बाहर इनकम को न दिखाना

इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, टैक्सपेयर को अपनी सभी इनकम की जानकारी देनी चाहिए, चाहे वो टैक्स के दायरे में आती हो या नहीं. ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख और न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय टैक्स के दायरे से बाहर है. वहीं, कुछ अन्य इनकम पर आपको टैक्स छूट मिलती है, इनका जिक्र जरूरी है. 

5. अपना आईटीआर वेरिफाई न करना

आईटीआर भरकर ही आपका काम खत्म नहीं हो जाता है. आपको अपने आईटीआर को ई-वेरिफाई करने की जरूरत होती है. आईटीआर भरने के 30 दिनों के भीतर इसे ई-वेरिफाई करना होता है. अगर ई-वेरिफिकेशन नहीं होता है तो आपका आईटीआर प्रोसेस नहीं होगा. 

6. बिना प्रूफ के डिडक्शन क्लेम करना

टैक्स फाइलिंग के वक्त आपको कई तरह निवेश और खर्चों पर टैक्स छूट मिलती है. ये डिडक्शन आप प्रूफ दिखाकर ले सकते हैं. लेकिन बहुत से टैक्सपेयर फॉर्म में तो डिडक्शन क्लेम कर लेते हैं, लेकिन उसके साथ कुछ प्रूफ नहीं लगाते है. ऐसा बिल्कुल न करें, इससे आपका डिडक्शन खारिज हो सकता है. आपको ये प्रूफ 7 साल तक रखने चाहिए.

7. इनकम टैक्स रिटर्न न फाइल करना

अगर आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो भी आपको टैक्स रिटर्न भरना चाहिए. बहुत से लोग ये सोचकर आईटीआर फाइल नहीं करते हैं कि उनकी इनकम पर टैक्स नहीं बन रहा, लेकिन अगर आपकी किसी सोर्स से कोई इनकम आ रही है तो आपको आईटीआर फाइल करना चाहिए.

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