इनकम टैक्‍स रिटर्न को लेकर लोगों के मन में अक्‍सर ये धारणा होती है कि ये सिर्फ उन्‍हीं लोगों को फाइल करना चाहिए जो टैक्‍स स्‍लैब में आते हों. अगर आप भी ऐसा ही समझते हैं, तो आप गलत सोच रहे हैं. फाइनेंशियल एक्‍सपर्ट शिखा चतुर्वेदी कहती हैं कि आप चाहें टैक्‍स स्‍लैब में आएं या न आएं, आपको आईटीआर फाइल जरूर करना चाहिए.

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आईटीआर फाइल करके आप अपनी कुल आय और टैक्‍स से जुड़ी जानकारी इनकम टैक्‍स ऑफिस तक पहुंचाते हैं. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल होने पर एक सर्टिफिकेट मिलता है. ये सरकारी प्रमाण होता है, जो ये बताता है कि आप एक जिम्‍मेदार नागरिक हैं. इस सर्टिफिकेट के जरिए भविष्‍य में आप कई बड़े फायदे ले सकते हैं. यहां जानिए आईटीआर फाइल करने के फायदे.

लोन लेना आसान

आईटीआर फाइल करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि आपको लोन आसानी से मिल जाता है. आज के समय में हर व्‍यक्ति को जमीन, बिजनेस, मकान या वाहन आदि के लिए लोन की जरूरत पड़ती ही है. इस बीच लोन देने वाला वित्‍तीय संस्‍थान आपसे आय का सबूत मांगता है. अगर आप जॉब वाले हैं तो सैलरी स्लिप देकर सबूत दे सकते हैं, लेकिन अगर आप नौकरीपेशा वाले नहीं हैं, वो पिछले 2 या 3 वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी जमा कर सकते हैं. इससे उन्‍हें आसानी से लोन मिल जाता है.

वीजा के लिए जरूरी है ITR

अमेरिका और कुछ विकसित पश्चिम देश, वीजा जारी  करने की प्रक्रिया में इनकम टैक्‍स रिटर्न की कॉपी मांगते हैं. ITR के जरिए ये चेक किया जाता है कि जो व्यक्ति उनके देश में आ रहा है या आना चाहता है उसका फाइनेंशियल स्टेटस क्‍या है. यानी वीजा के लिए भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है. जो लोग खुद नहीं कमाते हैं, उनके माता-पिता या अभिभावक के आईटीआर की कॉपी  दी जा सकती है. 

सरकारी विभाग से कॉन्‍ट्रैक्‍ट ले सकते हैं

तमाम लोग सरकारी विभाग से कॉन्‍ट्रैक्‍ट लेकर बिजनेस करते हैं. अगर आप भी किसी विभाग से कॉन्‍ट्रैक्‍ट लेना चाहते हैं तो आपको आईटीआर फाइल करना बहुत जरूरी है. किसी सरकारी विभाग में कॉन्‍ट्रैक्ट लेने के लिए पिछले 5 साल का ITR जरूरी होता है.

बड़ी रकम की बीमा पॉलिसी के लिए

जब आप 50 लाख, 1 करोड़ रुपए या इससे ज्‍यादा रकम की कोई भी बीमा पॉलिसी को खरीदते हैं तो आपको इसके लिए आईटीआर रसीद दिखाने की जरूरत पड़ती है. एलआईसी में तो खासतौर पर 50 लाख या इससे अधिक की टर्म पॉलिसी लेने पर आपसे आईटीआर दस्‍तावेज मांगे जाएंगे. इससे ये तय होता है कि आप इतनी बड़ी रकम का बीमा करवाने के योग्‍य हैं या नहीं.

एक्‍सीडेंटल डेथ के मुआवजे में मददगार

थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस के मामले में, किसी दुघर्टना में व्‍यक्ति की मौत होने पर, उसके परिवार को मदद करने के लिए बीमा की रकम मृतक की आमदनी के हिसाब से निर्धारित की जाती है. अदालती कार्रवाई के दौरान बीमा कंपनी परिवार से मृतक की आमदनी संबंधी प्रमाण मांगती है. आईटीआर की कॉपी ऐसे में मददगार साबित होती है. इससे मृतक के परिवार को बीमा क्‍लेम आसानी से मिल जाता है. 

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