ITR Filing: इनकम टैक्स (Income Tax) डिपार्टमेंट ने पाया है कि बहुत सारे लोग फर्जी दस्तावेज (Fake Documents) देकर एचआरए (HRA) यानी हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) क्लेम करते हैं. आयकर विभाग को अपनी जांच में पता चला है कि कई लोगों ने कुछ व्यक्तियों के पैन (PAN) कार्ड को गलत तरीके से इस्तेमाल किया है. आयकर विभाग ने फर्जी रेंट रिसीप्ट लगाकर गलत तरीके से टैक्स छूट पाने वालों की पहचान करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में अब आयकर विभाग ने ऐसा करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसके चलते बहुत सारे लोगों को नोटिस (IT Notice) भी भेजे जा चुके हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर एचआरए के जरिए फर्जीवाड़ा होता कैसे है? आइए जानते हैं सारी डीटेल. 

इस तरह हो रहा था फर्जीवाड़ा

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह तो सभी जानते हैं कि 1 लाख रुपये से अधिक का एचआरए क्लेम करते वक्त आपको मकान मालिक का पैन कार्ड देना जरूरी होता है. जब आयकर विभाग ने जांच की तो पता चला कि कुछ लोगों ने ऐसे पैन कार्ड डाल दिए हैं, जो असल में उनके मकान मालिक हैं ही नहीं. ये देखकर आयकर विभाग भी हैरान रह गया.

कैसे पता चला इस फर्जीवाड़े का?

ये बात कुछ महीने पहले की है. इनकम टैक्‍स व‍िभाग को इस तरह की धोखाधड़ी का पता तब चला, जब विभाग को एक व्यक्ति की तरफ से द‍िखाई गई 1 करोड़ रुपये की किराये की रसीदें फर्जी लगीं. जिस शख्‍स के पैन (PAN) पर 'किराये से होने वाली आमदनी' दिखाई गई थी, उससे पूछताछ की गई तो पता चला कि वह जानकारी गलत थी. जांच में यह भी सामने आया क‍ि उस व्यक्ति को इतना किराया नहीं मिलता था, जितना उसके नाम पर दिखाया जा रहा था. यह मामला के सामने आने के बाद इनकम टैक्‍स ड‍िपार्टमेंट ने गहराई से जांच की और फिर यह फर्जीवाड़ा खुलना शुरू हुआ.

कर्मचारियों की है पूरी गलती

आयकर अधिकारियों के अनुसार यहां पर पूरी गलती सिर्फ कर्मचारियों की है, ना कि नियोक्ता की. अगर कई कर्मचारियों ने एक ही वयक्ति का पैन कार्ड इस्तेमाल किया हो, तो भी यह गलती नियोक्ता की नहीं है, बल्कि कर्मचारी की ही मानी जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि हर कर्मचारी की तरफ से दिए गए दस्तावेजों को नियोक्ता गहराई से जांच नहीं सकता है. हालांकि, एचआरए छूट देते वक्त नियोक्ता कुछ हद तक सतर्क जरूर रह सकते हैं. कुछ कंपनियों में तो ऐसी पॉलिसी होती है कि अगर कर्मचारी फर्जी एचआरए या एलटीए क्लेम करता है तो ऐसे में उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है.

इनकम टैक्स विभाग कैसे पकड़ रहा फर्जीवाड़े?

आज के वक्त में अधिकतर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन आपके पैन से लिंक होती हैं. वहीं लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और ऑटोमेटेड प्रोसेस के जरिए फर्जी क्लेम को आयकर विभाग आसानी से पहचान लेता है. बता दें कि ऐसा करने वालों को ना सिर्फ वह टैक्स चुकाना होगा, जो उन्होंने गलत तरीके से बचाया है, बल्कि उस पर पेनाल्टी और ब्याज भी चुकाना पड़ेगा.

कैसे होता है एचआरए का कैल्कुलेशन?

जब कभी बात आती है टैक्स (Tax) बचाने की तो उसमें हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance) एक बड़ा रोल निभाता है. इसके तहत आपको काफी सारे पैसों पर टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, एचआरए (HRA) एक ऐसा कंपोनेंट है, जिसका फायदा यूं ही नहीं मिलता, बल्कि उसके लिए एक पूरी कैल्कुलेशन (HRA Calculation) से गुजरना पड़ता है. कई लोगों को लगता है कि उनकी कंपनी जितना एचआरए उन्हें दे रही है, वह सारा टैक्स फ्री (Tax Free) है, लेकिन हकीकत इससे बहुत अलग है. आइए समझते हैं एचआरए का पूरा गणित (Tax Planning) और जानते हैं कितने रुपयों पर मिलती है टैक्स छूट.

इन 3 में से सबसे कम HRA मिलेगा

जब आप एचआरए क्लेम कर रहे हों तो आपको 3 तरह के आंकड़े निकालने होते हैं. उनमें से जो भी आंकड़ा सबसे कम होता है, उस पर आपको टैक्स छूट मिलती है. 

1- जो एचआरए कंपनी की तरफ से सैलरी में दिया गया है, उसे क्लेम किया जा सकता है.

2- मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 50 फीसदी और नॉन मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 40 फीसदी तक एचआरए क्लेम कर सकते हैं.

3- आपके कुल रेंट में से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटाने के बाद जो राशि बचती है, उतना एचआरए आप क्लेम कर सकते हैं.

एक उदाहरण से समझते हैं

मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी 3 लाख रुपये है और आप मेट्रो शहर में रहते हैं. साथ ही यह भी मान लेते हैं कि आपका हर महीने का घर का किराया 15 हजार रुपये है. वहीं आपके सैलरी स्ट्रक्चर में आपको कंपनी की तरफ से 1.6 लाख रुपये हाउस रेंट अलाउंस मिल रहा है. आइए जानते हैं ऐसी हालत में तीनों आंकड़े क्या-क्या आते हैं और आपको कितना फायदा मिल सकता है.

1- जो एचआरए कंपनी से मिला है यानी 1.60 लाख रुपये.

2- मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 50 फीसदी यानी 3 लाख रुपये का 50 फीसदी, जो होता है 1.50 लाख रुपये. 

3- हर महीने 15 हजार रुपये रेंट का मतलब है कि आप साल में 1.80 लाख रुपये घर के किराए पर खर्च कर देते हैं. वहीं तीसरी स्थिति में कैल्कुलेशन करें तो आपके इस रेंट में से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटाने के बाद जो रकम बचेगी, आप उसे एचआरए की तरह क्लेम कर सकते हैं. यानी 1.80 लाख- 30 हजार (बेसिक सैलरी का 10 फीसदी)= 1.50 लाख रुपये.

इस तरह भले ही आपको कंपनी की तरफ से 1.60 लाख रुपये का हाउस रेंट अलाउंस मिल रहा है, लेकिन आप 1.50 लाख रुपये तक ही एचआरए के तहत क्लेम कर सकते हैं. तो जब आप टैक्स प्लानिंग करें तो एचआरए के अमाउंट को उसी वक्त कैल्कुलेट कर लें, ना कि सैलरी स्ट्रक्चर वाले एचआरए के हिसाब से कैल्कुलेशन करें, क्योंकि 1 रुपये भी ज्यादा होने से कई बार लोग टैक्स के दायरे में आ जाते हैं.