Budget 2023: देश का आम बजट आने में गिन कर 5 दिन बचे है. 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूरे देश के सामने बजट पेश करेंगी. बजट से देश के हर तबके को उम्मीदें रहती हैं. देश के नागरिक आम बजट का बेसब्री से इंतज़ार करते है ये देखने के लिए की इस बार सरकार ने उनके लिए क्या नया किया है. ऐसे में हमने देखा कि बिज़नेस सैलरी वाले लोगों की एक मांग है जिसे नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते. Zee Business ने आम बजट आने से पहले वित्त मंत्री जी से यही मांग की है. आइए जानते है विस्तार से.

क्या है आज की मांग?

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Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने वित्त मंत्री से बिज़नेस सैलरी वालों के लिए ये मान करते हुए कहा कि - “वित्त वर्ष 2021 के बजट में सरकार ने एक बड़ा इंटरेस्टिंग प्रोविशन शामिल किया था. उसमें ये था कि आपके पास टैक्स भरने के दो तरीके हैं. एक पुरानी रिजीम और एक नई रिजीम. पुरानी में वही आपके अलग-अलग स्लैब्स और एक्सेम्प्शंस मिलते है. और, नई में ये है की बाकि कोई एक्सेम्पशन नहीं सिंपल आप टैक्स भर दीजिए.

जो सैलरी कमाने वाले लोग हैं, मेरे जैसे, उनको ये छूट है, की हर साल, जब मन आए दोनों टैक्स रिजीम का  कैलकुलेशन कर लीजिए. जिसमे टैक्स कम लग रहा है, बस वो चूज कर लीजिए. आप हर साल अपने टैक्स रिजीम को बदल भी सकते है, लेकिन ये सुविधा उन लोगो को नहीं है जिनकी बिज़नेस इनकम है. अरे भाई, ज्यादा दिक्कत तो बिज़नेस वालों को ही होती है, कमाई कम जयादा उनकी ही होती है, सैलरी वालों को क्या फर्क पड़ता है, बहुत ज्यादा नहीं ! 

जैसे कोविड वाला साल ले लीजिए, तब आपको पता ही नहीं था की कमाई ज्यादा होगी या कम? तो ऐसी सिचुएशन में, यही सुविधा जो सैलरी वालों को मिल रही है, की आप हर साल अपना टैक्स रिजीम बदल सकते है, ये तो बिज़नेस वालों को भी मिलनी चाहिए न ! उनको भी ये फायदा मिले, या नहीं मिले? तो वित्त मंत्री जी बहुत छोटी सी बात है, लेकिन है वाकई में बिज़नेस क्लास वालों के बहुत इम्पोर्टेन्ट. प्लीज, इस बजट में ये सुविधा करिए कि हर साल दोनों ही तरह के टैक्स पेयर्स अपनी टैक्स रिजीम को चुन सके. इतना तो कर दीजिए वित्त मंत्री जी… “.

 

 

एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?

इस मामले पर डिस्कशन करते हुए, अनिल सिंघवी ने कहा कि ये ऐसी चीज़ है जिससे लोग नज़रअंदाज़ कर देते है. आमतौर पर फोकस में नहीं आती है. लेकिन जो बिज़नेस मैन हैं, ट्रेडर्स हैं, उनके लिए ये बहुत ज़रूरी है. सैलरी वालों को तो पता होता है की उनका इनकम फिक्स्ड है, बढ़ेगा भी तो कितना, 5,10 या 15 परसेंट. इसमें तो वो अपने टैक्स की प्लानिंग आराम से कर सकते हैं. उनको ऑप्शन मिलने से ज्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ता. लेकिन जिनका वाकई में बदलाव होता है, उनको टैक्स रिजीम चूज़ करने का ऑप्शन मिलना चाहिए. 

शायद सरकार को ऐसा लगता है कि इसका मिसयूज हो सकता है. लेकिन, इस दर से आप जिनको ज़रूरत है उनको ऑप्शन ही नहीं देंगे क्या? मिसयूज कैसे रोकना है, वो आप देखिए. हम चाहते है लेवल प्लेइंग फील्ड हो, और जहा आपको लग रहा है कि मिसयूज हो रहा है , वह चेक्स एंड बैलेंस खड़े कर दीजिए. ऐसा करने से बिज़नेस क्लास लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.

जो लोग टैक्स के हायर सलाब मे आते हैं उनको तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन जो SMEs हैं, MSMEs हैं, छोटे कारोबारी हैं, दूकानदार हैं, उन लोगों के लिए तो फैसिलिटी होनी चाहिए न. की वो लोग अपना टैक्स प्लान किस तरह कर सकते हैं. टैक्स नई रिजीम और पुरानी रिजीम में उन्हें एक ऑप्शन जरूर मिलना चाहिए.

 

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