Budget 2023: DA, TA, HRA के अलावा कितने तरह के होते हैं अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स? कहां मिलती है टैक्स छूट?
Budget 2023: कुछ अलाउंस पर टैक्स छूट शर्तों के अधीन होती है. टैक्स छूट का दावा करने के लिए छूट की सीमा और शर्तों के बारे में जानना जरूरी है.
Budget 2023 in Hindi: सैलरीड (Salaried) को अपने एंप्लॉयर (Employer) से कई तरह का अलाउंस (Allowances) और रीईबर्समेंट्स (Reimbursements) मिलते हैं. इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के मुताबिक, इन अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स में कुछ टैक्सेबल होते हैं और कुछ नॉन टैक्सेबल. वहीं, कुछ अलाउंस पर टैक्स छूट शर्तों के अधीन होती है. टैक्स छूट का दावा करने के लिए छूट की सीमा और शर्तों के बारे में जानना जरूरी है.
हाउस रेंट अलाउंस (House rent allowance)
नौकरीपेशा को सैलरी के हिस्से में House rent allowance भी दिया जाता है. आप किराए पर रहते हैं तो HRA के एक निश्चित रकम पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. लेकिन ये निश्चित लिमिट और रेस्ट्रिक्शंस के अधीन है. अगर आपके किराए का भुगतान नहीं कर रहे हैं तो पूरा HRA टैक्सेबल है.
महंगाई भत्ता (Dearness allowance)
Dearness allowance नौकरीपेशा को मिलने वाला एक और अहम अलाउंस है. महंगाई भत्ते (DA) के रूप में मिलने वाली पूरी रकम टैक्स के दायरे में आती है. अगर आप प्राइवेट जॉब कर रहे हैं और DA मिलता है तो आपको भी पूरी रकम पर टैक्स चुकाना होगा.
लीव ट्रैवल अलाउंस (Leave travel allowance)
एंप्लॉयर से मिलने वाला Leave travel allowance पर टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. यह नियम घरेलू और विदेशी दोनों एंप्लॉइज पर लागू होता है. LTA पर टैक्स छूट लेने के कुछ नियम हैं. 4 साल के अंतराल में सिर्फ 2 यात्राओं के खर्च पर ही टैक्स छूट मिलेगी. क्लेम करने के लिए रेलवे के AC फर्स्ट क्लास या Air India के बिजनेस क्लास से गंतव्य (डेस्टिनेशन) तक के किराए की रकम पर टैक्स छूट मिलती है.
सिटी कंपन्सेटरी अलाउंस (City Compensatory Allowance)
सैलरी स्ट्रक्चर में आमतौर पर इसका जिक्र होता है. DA की तरह ही सिटी कंपन्सेटरी अलाउंस (City compensatory allowance) मिलती है. एंप्लॉई को शहरों में रहने की ऊंची लागत के लिए ये अलाउंस दिया जाता है. DA की तरह ये रकम भी टैक्स के दायरे में आती है.
परिवहन भत्ता (Travel allowance)
ट्रांसपोर्ट अलाउंस (Transport allowance) 16,000 रुपए प्रति महीना या सालाना 1,92,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. किसी तरह के दिव्यांग कर्मचारियों के लिए ये सीमा 32,000 रुपए है. ITR फाइलिंग में इस रकम को टैक्सेबल इनकम से घटा दिया जाता है. रकम पर टैक्स छूट लेने के लिए कोई सबूत या डॉक्युमेंट नहीं देना होता. हालांकि, शर्त है कि अगर आपका एंप्लॉयर आपको ट्रैवल के लिए कोई मुफ्त साधन नहीं दे रहा है तो ही ये रकम क्लेम की जा सकती है.
स्पेशल अलाउंस (Special Allowance)
स्पेशल अलाउंस (Special allowance) जो अलाउंस किसी भी दूसरे अलाउंस के दायरे में नहीं आता. इसकी पूरी रकम पर भी टैक्स लगता है.
ओवरटाइम अलाउंस (Overtime allowance)
कुछ एंप्लॉयर अपने यहां काम करने वाली कर्मचारियों को निश्चित अवधि से ज्यादा वक्त तक काम करने पर ओवरटाइम अलाउंस (Overtime allowance) देते हैं. यह रकम भी टैक्सेबल होती है.
चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस (Children education allowance)
बच्चों की शिक्षा के लिए Children education allowance मिलता है. इस पर टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है. ये रकम ज्यादा-से-ज्यादा दो बच्चों के लिए महीने अधिकतम 200 रुपए यानी सालाना 2400 रुपए ही टैक्स छूट ले सकते हैं. सेक्शन 80C के तहत बच्चों की पढ़ाई के लिए दी जा रही फीस पर भी टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं.
हॉस्टल एक्सपेंडिचर अलाउंस (Hostel expenditure allowance)
अगर आपके बच्चे के हॉस्टल में रहने के खर्च पर किसी भी तरह का भत्ता (Hostel expenditure allowance) मिल रहा हो तो आप 300 रुपए प्रति महीना या 3,600 रुपए सालाना टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. ये छूट भी अधिकतम दो बच्चों पर ही मिल सकती है.
मेडिकल रीइंबर्समेंट (Medical reimbursement)
एंप्लॉयी खुद, पत्नी, पुत्र, पुत्री और माता-पिता या सास-ससुर में किसी एक जोड़े के इलाज में खर्च पर सालाना 15,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स छूट पा सकता है. एंप्लॉयर की तरफ से जमा की गई या रीइंबर्स की गई मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (Medical insurance premium) की रकम टैक्स के दायरे में नहीं आती. प्रीमियम की रकम पर टैक्स छूट का दायरा भी 15,000 रुपए में शामिल है.
फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस (Fixed Medical allowance)
मेडिकल अलाउंस (Medical allowance) और मेडिकल रीइंबर्समेंट (Medical reimbursement) में फर्क है, इसे एक समान मानने की गलत नहीं करें, क्योंकि दोनों पर टैक्स के नियम अलग-अलग हैं। मेडिकल अलाउंस की पूरी रकम पर टैक्स लगता है, जबकि ऊपर के नियम के मुताबिक सालाना 15,000 रुपये के मेडिकल रीइंबर्समेंट पर टैक्स छूट मिलती हैं. हालांकि, मेडिकल अलाउंस क्लेम करने के लिए बिल देने की जरूरत नहीं होती है.
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