Union Budget 2023: बजट पेश होने में थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. 1 फरवरी को सुबह 11 बजे वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) बजट पेश करेंगी. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी पूर्ण बजट है, ऐसे में लोगों को इस बजट से खास उम्‍मीदें हैं. सबसे ज्यादा उम्मीद टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को है क्‍योंकि पिछले कई सालों से उनके लिए टैक्स के मोर्चे कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. ऐसे में टैक्‍सपेयर्स उम्‍मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार इस साल इनकम टैक्स (Income Tax) सेक्शन 80C और 80D की लिमिट को बढ़ा सकती है. 

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लेकिन यहां आपको ये भी जानना चाहिए कि आखिर सेक्शन 80C और 80D की लिमिट बढ़ाने की इतनी ज्‍यादा जरूरत अब महसूस क्‍यों हो रही है? हमारी खास सीरीज "वित्त मंत्री जी ये तो बदलिए..." में कुछ समय पहले Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने  80C और 80D की लिमिट को बढ़ाने की मांग की थी, साथ ही इसकी वजह को भी समझाया था. आइए बजट से पहले एक बार फिर से नजर डालते हैं इस पर-

80C की लिमिट बढ़ाए जाने की वजह

अनिल सिंघवी के मुताबिक दरअसल टैक्‍स बचाने का सबसे पॉपुलर टूल 80C होता है. फिर चाहे आप उसे होम लोन पर जनरेट करते हो, प्रोविडेंट फंड में पैसा डालते हों या फिर ELSS, NPS या लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम भरते हों. इन सभी में आपको टैक्‍स बेनिफिट तो मिलता है, लेकिन इसकी लिमिट सिर्फ 1.5 लाख रुपए ही है. साल  2005 में ये लिमिट 1 लाख रुपए थी, जिसे 2015 बढ़ाकर 1.5 लाख किया गया. 2005 से लेकर 2015 तक महंगाई या इन्फ्लेशन रेट का हिसाब लगाए, तो अब समय आ गया है की इस लिमिट को और बढ़ाया जाना चाहिए. इस लिमिट की वजह से बहुत कम पैसे ही टैक्स से बच पाते है बाकी पर तो टैक्स लगता ही है. अगर सरकार 80C की लिमिट को बढ़ाती है तो इससे दो फायदे होंगे, पहला आम आदमी को राहत मिलेगी और वो ज्‍यादा पैसे बचा पाएगा और दूसरा इससे व्‍यक्ति ज्‍यादा निवेश कर पाएगा और इससे देश की ग्रोथ पर सकारात्‍मक असर पड़ेगा.  

80D की लिमिट बढ़ाए जाने की वजह

इसी कड़ी में अगर इनकम टैक्स के सेक्शन 80D की बात करें तो 80D के तहत मेडिक्लेम यानी की हेल्थ इंश्योरेंस के लिए छूट मिलती है, लेकिन ये छूट सिर्फ 25,000 रुपए तक है. इस मामले में Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी का कहना है कि एक परिवार यानी पति-पत्नी और बच्चे, वहीं अगर आपके पैरेंट्स भी आप पर निर्भर हैं तो 25,000 की लिमिट और. इतने से पैसों में क्या होता है? इसमें अगर अपने प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप कराए तो छूट सिर्फ 5000 रुपए की मिलती है. इन सब पर 18 प्रतिशत की जीएसटी और लग जाती है. इसलिए सबसे पहले तो 25,000 की इस लिमिट को बढ़ाना बहुत जरूरी है. 25-50 हजार की लिमिट बहुत छोटी है! हमारी हेल्थ ठीक रहे, बीमार हो जाएं, इंश्योरेंस लेना पड़े तो कम से कम इसकी लिमिट 1 लाख रुपए तो होना ही चाहिए ताकि बीमार पड़ने पर व्‍‍यक्ति को हेल्‍थ की फिक्र हो, वेल्‍थ की नहीं. दूसरा इन पर से जीएसटी को हटा देना चाहिए. 

 

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