विगत तीन वर्षों में संदिग्ध आयकर वापसी के दावों की संख्या बढ़ी हैं तथा आय और निवेश पद्धति के साथ असंगत पाए जाने वाले अधिक पैसा वापसी का दावा करने वाले करदाताओं के खिलाफ जांच आकलन का काम शुरू किया गया है. यह जानकारी मंगलवार को संसद को दी गई. वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रकाश में आए संदिग्ध धन वापसी के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है. जांच के लिए चुने गए संदिग्ध धनवापसी दावों की संख्या वर्ष 2018-19 में 20,874, वर्ष 2017-18 में 11,059 और वर्ष 2016-17 में 9,856 रही.

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करदाताओं के खिलाफ जांच शुरू

उन्होंने कहा, "आय और निवेश के तरीके के साथ असंगत पाए जाने वाले उच्च धन वापसी का दावा करने वाले करदाताओं के खिलाफ जांच शुरू की गई है.’’ उन्होंने कहा, "जांच के बाद रिफंड के दावे गलत पाये जाते हैं उसे रोक दिया गया तथा मामले की गंभीरता के आधार पर जुर्माना और अभियोजन की कार्रवाई जरूरी कार्रवाई की गई.’’ वर्ष 2018-19 (2 फरवरी, 2019 तक) के दौरान आयकर धनवापसी की कुल राशि 1.43 लाख करोड़ रुपये, वर्ष 2017-18 में (1.51 लाख करोड़ रुपये), वर्ष 2016-17 में (1.62 लाख करोड़ रुपये) और वर्ष 2015-16 (1.22 लाख करोड़ रुपये) थी.

आईटीआर की संख्या 6.36 करोड़

एक अलग उत्तर में, मंत्री ने कहा कि तक वर्ष 2018-19 में जनवरी 2019 तक दायर आयकर रिटर्न (आईटीआर) की संख्या 6.36 करोड़ थी. यह 2017-18 की इसी अवधि के दौरान दायर 4.63 करोड़ आईटीआर की संख्या की तुलना में 37 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाता है. उन्होंने कहा, "वर्ष 2018-19 में करदाताओं को लगभग 25 करोड़ एसएमएस और ई-मेल भेजे गए थे, जिसमें उन्हें अपने आयकर रिटर्न को समय पर जमा करने की याद दिलाई गई. इसके अलावा, समय पर आईटीआर जमा करने के संबंध में समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिए गए.’’ 

देर से रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना

शुक्ला ने कहा, "देर से रिटर्न दाखिल करने को हतोत्साहित करने के लिए वर्ष 2017-18 से देर से आईटीआर दाखिल करने के लिए 10,000 रुपये तक की फीस लगाने का प्रावधान भी पेश किया गया है." उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले रिफंड के बढ़ते चलन के बारे में क्षेत्र अधिकारियों को सचेत किया गया है और सभी आवश्यक सावधानी बरतने और उच्च रिफंड वापसी का दावा स्वीकार करने से पहले आवश्यक सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17, वर्ष 2017-18 और वर्ष 2018-19 के दौरान दायर आईटीआर की संख्या क्रमशः 5.57 करोड़, 6.86 करोड़ और 6.36 करोड़ थी.

 

 

वर्ष 2016-17 के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह 8.49 लाख करोड़ रुपये था जो वर्ष 2017-18 में 18 प्रतिशत बढ़कर 10.02 लाख करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2018-19 में आयकर संग्रह (जनवरी 2019 तक) पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान संग्रह की तुलना में 13.4 प्रतिशत अधिक यानी 7.89 लाख करोड़ रुपये है.

(इनपुट एजेंसी से)