आम चुनावों से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने आम आदमी को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने ग्रेच्युटी पर इनकम टैक्स की छूट दोगुनी कर दी है. अब 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलने पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा. अभी तक यह सीमा 10 लाख रुपए तक थी. इसके लिए इनकट टैक्स एक्ट की धारा 10(10)(iii)  में संशोधन किया जाएगा.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ग्रेच्युटी के लिए इनकट टैक्स की धारा 10(10)(iii) में बदलाव करने जा रही है. जिसके कारण अब ग्रेच्युटी पर इनकम टैक्स की छूट की सीमा दोगुनी हो जाएगी. यानी 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिलने पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना होगा. 

सरकार के इस फैसले से सार्वजनिक सेक्टर के कर्मचारियों तथा अन्य कर्मचारियों को फायदा होगा, जो पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नहीं आते हैं.

क्‍या है ग्रेच्‍युटी

अगर आप किसी संस्‍थान में लगातार 5 साल काम करते हैं तो आपको ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है. हालांकि, मोदी सरकार इस अवधि को 5 साल से घटाकर 3 साल करने की योजना बना रही है ताकि कर्मचारियों को 3 साल बाद नौकरी बदलने के बाद भी ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता रहे. पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत यह लाभ उस संस्‍थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्‍यादा एंप्‍लॉई काम करते हैं.

ग्रेच्युटी एक कर्मचारियों को मिलने वाला एक पूर्व-परिभाषित लाभ है. इसका मतलब है कि ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर मिलेगा अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरी करता है. मौजूदा कानून के अनुसार, किसी भी संस्‍थान को अपने कर्मचारी को ग्रेच्‍युटी का भुगतान करना होगा अगर वह लगातार 5 साल तक अपनी सेवाएं देता है.

ऐसे करते हैं ग्रेच्‍युटी का कैलकुलेशन

किसी भी कर्मचारी के प्रत्‍येक वर्ष की सेवा के लिए संस्‍थान को पिछली सैलरी के 15 दिनों बराबर की रकम ग्रेच्‍युटी के तौर पर देनी होती है. यहां सैलरी का मतलब बैसिक सैलरी + महंगाई भत्‍ता + कमीशन से है. अगर कमीशन सेल्‍स का एक खास प्रतिशत है. इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी अपनी सर्विस के अंतिम वर्ष से 6 महीने से अधिक काम करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी के कैलकुलेशन के लिए पूरा एक साल माना जाएगा. उदाहरण के तौर पर यदि कोई कर्मचारी अपने संस्‍थान में 5 साल 7 महीने काम करता है तो ग्रेच्‍युटी की गणना 6 साल की सर्विस के आधार पर की जाएगी.

ग्रेच्‍युटी की गणना के लिए 1 महीने में होते हैं 26 दिन

ग्रेच्‍युटी की गणना के लिए एक महीने के काम को 26 दिन के तौर पर माना जाता है. इसलिए, 15 दिन की सैलरी भी इसी आधार पर कैलकुलेट की जाती है (मासिक वेतन x15)/26. इस संख्‍या को सर्विस के साल से गुणा कर ग्रेच्‍युटी की गणना की जाती है. यही फॉर्मूला रिटायरमेंट पर ग्रेच्‍युटी की गणना के लिए भी अपनाई जाती है.