How to manage EMI: लगातार बढ़ रहा है ईएमआई का बोझ, जानिए कैसे घटाएं Loan वाला टेंशन
Manage your EMI: रेपो रेट बढ़ने के कारण होम लोन पर इंट्रेस्ट रेट भी बढ़ रहा है जिससे ईएमआई का बोझ भी बढ़ रहा है. ऐसे में जरूरी है कि बीच-बीच में प्रीपेमेंट करते रहें और कर्ज के बोझ को घटाएं.
How to manage EMI: बीते सप्ताह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 5.9 फीसदी पर पहुंच गया जो जून 2019 के बाद सर्वोच्च स्तर है. मई से लेकर अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है. जैसे-जैसे रेपो रेट बढ़ रहा है, लोन भी महंगा हो रहा है. इंट्रेस्ट रेट महंगा होने से आप पर EMI का बोझ भी बढ़ रहा है. जानकारों का कहना है कि आने वाली बैठकों में इंट्रेस्ट रेट में और बढ़ोतरी होगी जिससे ईएमआई का बोझ और बढ़ेगा. अगली दो बैठक में रेपो दर में 50-60 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की संभावना है. ऐसे में जरूरी है कि EMI के बढ़ते बोझ को लेकर सही स्ट्रैटिजी अपनाई जाए.
कैसे घटाएं अपनी EMI का बोझ?
जी बिजनेस के कार्यक्रम Money Guru में बातचीत के दौरान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्यॉरिटी मार्केट (NISM) की प्रोफेसर मोनिका हालन और फिनसेफ के फाउंडर मृन अग्रवाल ने बताया कि EMI का बोझ कम करने के लिए क्या स्ट्रैटिजी अपनानी चाहिए. एक्सपर्ट ने कहा कि रेट बढ़ोतरी के बाद महंगाई और ब्याज दर में अंतर कम हुआ है. महंगाई दर 7% पर और रेपो रेट 5.90% पर आ गई है. दूसरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर बाकी देशों के मुकाबले भारत में अंतर कम है. महंगाई दर घट रही है ऐसे में ब्याज दरें और बढ़ने की रफ्तार कम होने का अनुमान है.
बीच-बीच में करें प्रीपेमेंट
एक्सपर्ट ने कहा कि ब्याज दरें बढ़ने का EMI पर दो तरह से असर होता है. या तो कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ जाती है या फिर लोन की ईएमआई बढ़ जाती है. बॉरोअर्स को चाहिए कि वह बीच-बीच में प्रीपेमेंट करता रहे. बीच-बीच में एकमुश्त प्री-पेमेंट कर सकते हैं. इसके अलावा हर महीने सिस्टमैटिक रूप से भी प्रीपेमेंट कर सकते हैं. अपनी कमाई में खर्च से अतिरिक्त राशि बचे तो प्री-पेमेंट कर सकते हैं. अगर कहीं से एडिशनल इनकम आती है, मसलन बोनस की राशि आती है तो प्रीपेमेंट करें.
रेपो रेट बढ़ने से हर महीने कितनी बढ़ी ईएमआई
उदाहरण से समझने की कोशिश करें तो 50 लाख का लोन अगर 20 साल के लिए लिया गया है और इंट्रेस्ट रेट 8 फीसदी है तो उसकी ईएमआई 41822 रुपए होगी. रेपो रेट बढ़ने के बाद अगर इंट्रेस्ट रेट बढ़कर 8.5 फीसदी हो जाता है तो उसकी ईएमआई बढ़कर 43391 रुपए हो जाती है. इस तरह मंथली ईएमआई 1569 रुपए बढ़ जाती है. पिछले छह महीने में रेपो रेट 1.9 फीसदी बढ़ गया है. ऐसे में अप्रैल तक ब्याज दर 6.6 फीसदी थी. उस समय 50 लाख के लोन पर ईएमआई 37574 रुपए थी. उसके मुकाबले ईएमआई अब तक 5817 रुपए हर महीने बढ़ चुकी है.