Loan Tips: अगर आप अपनी जिंदगी में फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं करते हैं तो कितनी भी कमाई कर लें, उसका फायदा नहीं होगा. कमाई के साथ-साथ जरूरी है कि खर्च का हिसाब हो और कर्ज का भी हिसाब हो. आपकी कमाई कितनी है, उसमें आपकी EMI कितनी है और हर महीना कितना जमा करते हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसको लेकर आनंदराठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने जी बिजनेस से खास बातचीत में कहा कि मनी मैनेजमेंट के लिए कमाई, निवेश और EMI का गणित ठीक होना चाहिए. इससे आपकी जिंदगी हमेशा खुशहाल रहेगी और कभी भी कर्ज का बोझ परेशान नहीं करेगा.

अधिकतम 40 फीसदी EMI होनी चाहिए

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आपकी जितनी इनकम है उसका अधिकतम 40 फीसदी ही EMI होनी चाहिए. हर हाल में ईएमआई का बोझ इससे कम रखने की कोशिश करें. अगर ऐसा रख पाते हैं तो कर्ज का बोझ कभी भी भारी नहीं होगा. इनकम का कम से कम 10 फीसदी इमरजेंसी फंड में जमा होना जरूरी है. इस फंड का तभी इस्तेमाल करें जब यह बहुत ज्यादा इमरजेंसी हो. इस फंड को भूल जाना बेहतर है.

30 फीसदी खाने, रेंट और अन्य खर्च

अपनी इनकम का 30 फीसदी खाने, रेंट और जरूरी खर्च के लिए होना चाहिए. इसके अलावा 25-30 फीसदी तक हर हाल में निवेश करें जो भविष्य में काम आएगा. आपकी कमाई का यह अनुपात जरूरी है. EMI का मतलब कर्ज का किस्तों में भुगतान है. इससे आजकल कोई नहीं बच सकता है. ऐसे में ईएमआई तय करने से पहले  मौजूदा आय और खर्च का खाका अच्छे से तैयार करें.

EMI फिक्स करने से पहले निवेश और खर्च का करें हिसाब

अगर आपकी इनकम कम है तो लाइफस्टाइल में बदलाव करें. लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं कर सकते हैं तो नौकरी में बदलाव की संभावना तलाशें. जब कभी कोई कर्ज लें तो सबसे पहले 25-30 फीसदी की सेविंग अलग रखें. इसके अलावा आने वाले खर्च और रिटायरमेंट प्लान को ध्यान में रखकर ही EMI तय करें.

लोन पर इंट्रेस्ट रेट अधिकतम 12 फीसदी तक

जैसा कि हम जानते हैं आपकी लोन की ईएमआई ब्याज दर घटने और बढ़ने से घटती और बढ़ती है. ऐसे में सही जगह से लोन लें. रेपो रेट बढ़ने पर बैंक ब्याज दरें बढ़ाते हैं और आपकी ईएमआई बढ़ जाती है. ऐसे में लोन पर इंट्रेस्ट रेट 12 फीसदी से कम रखें, साथ ही लोन लेते वक्त महंगाई दर, ब्याज दर और रिटर्न का भी ध्यान रखें.