किस्तों का बोझ को कम करने में और लाखों की रकम को बचाने के मामले में लोन रीफाइनेंसिंग को मददगार माना जाता है. इसमें कम ब्याज दर जैसी शर्तों वाला नया लोन लिया जाता है और पुराने लोन को क्‍लोज करा दिया जाता है. इसके बाद नए लोन का पुनर्भुगतान शुरू कर दिया जाता है. नया लोन आप दूसरे बैंक से भी ले सकते हैं और मौजूदा बैंक से भी ले सकते हैं. लेकिन इस विकल्‍प को कब चुनना आपके लिए फायदे का सौदा है, ये समझना बहुत जरूरी है. यहां जानिए इसके बारे में.

कैसे मिलता है इसका फायदा

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लोन रीफाइनेंसिंग के जरिए आप जब नया लोन लेते हैं तो लोन चुकाने के समय को अपने हिसाब से कम या ज्‍यादा करवा सकते हैं. इसके अलावा नया लोन आप कम ब्‍याज दरों के साथ लेते हैं, तो इससे आपकी ईएमआई का बोझ कम हो जाता है. 

कब चुनें लोन रीफाइनेंसिंग का विकल्‍प

- आपने जिस बैंक से लोन लिया है, उसकी ब्‍याज दरें काफी ज्‍यादा हैं और आपको दूसरे बैंक में कम ब्‍याज दरों का विकल्‍प मिल रहा है, तो इस स्थिति में आप लोन रीफाइनेंसिंग का ऑप्‍शन चुन सकते हैं.

- अगर आपने निश्चित ब्याज दरों पर लोन लिया है, लेकिन उसके बाद ब्‍याज दरें कम होने लगी हैं. आप फिक्‍स्‍ड रेट लोन से फ्लोटिंग रेट लोन का विकल्प अपनाना चाहते हैं. आपका मौजूदा लेंडर फ्लोटिंग लोन का विकल्प देने के लिए तैयार नहीं हैं तो आप किसी दूसरे लेंडर के पास अपना लोन रीफाइनेंस करवा सकते हैं.

- अगर आपने लोन लेते समय लंबी अवधि का चुनाव किया था, लेकिन अब आपकी फाइनेंशियल कंडीशन बेहतर है और आप लोन टेन्‍योर को कम करना चाहते हैं, तो लोन रीफाइनेंसिंग का विकल्‍प चुनकर ऐसा कर सकते हैं. 

- अगर आप मौजूदा किस्‍त देने में सक्षम नहीं हैं और किस्‍त को कम करने के लिए लोन टेन्‍योर को बढ़ाना चाहते हैं, तो भी इस विकल्‍प को चुन सकते हैं.

- अगर आपको लोन के डिस्बर्समेंट के बाद यह लगता है कि आपका लेंडर आपको अच्छी सेवाएं नहीं दे रहा है, या आपको अच्छी डील नहीं मिली है. इन स्थितियों में आप लेंडर बदलने की सोच सकते हैं.

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