GST regime: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का कहना है कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) प्रणाली ने भारत में राजकोषीय संघवाद (fiscal federalism) की रूपरेखा बदल दी है और GST राजस्व में लगातार वृद्धि होना इस सुधार की सफलता का एक पैमाना है. 

GST रेवेन्यू में ग्रोथ

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देबरॉय ने GST राजस्व पर केंद्रित अपने एक कार्य-पत्र में 'GST रेट इंडेक्स' बनाने का प्रस्ताव भी रखा है. उन्होंने कहा है कि इस इंडेक्स से टैक्स रेट की सापेक्षिक गतिशीलता को परखने और टैक्स कलेक्शन और टैक्सपेयर्स के व्यवहार पर इसके प्रभाव के आकलन में मदद मिलेगी. 

देबरॉय ने कहा कि जुलाई, 2017 में भारत में GST की शुरूआत से न केवल इकोनॉमी को प्रभावित किया बल्कि इसने भारत में राजकोषीय संघवाद (fiscal federalism) की रूपरेखा भी बदल दी. GST रेवेन्यू में लगातार वृद्धि होना इस सुधार की सफलता का एक मजबूत पैमाना है. 

GST रेट इंडेक्स का प्रस्ताव

उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग टैक्सके GST कलेक्शन रेट की गणना की एक व्यवस्था बनाने का सुझाव भी दिया. उन्होंने कहा कि राजस्व मॉडलिंग में कई अनुप्रयोग हो सकते हैं और यह समय एवं भौगोलिक क्षेत्रों में रुझानों का विश्लेषण करने के साथ नीति निर्माण में भी मददगार हो सकता है. देबरॉय ने कहा, हम एक GST दर सूचकांक बनाने का प्रस्ताव रखते हैं. यह सूचकांक प्रभावी दर का एक संकेतक होगा और इसकी गणना सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए की जाएगी. 

टैक्स रेट में कमी से कलेक्शन में उछाल

उन्होंने कहा कि GST लागू होने के बाद से छह वर्षों में GST राजस्व कलेक्शन लगातार मजबूत हुआ है. यह बात घरेलू आपूर्ति पर कलेक्शन और आयात पर भुगतान किए गए एकीकृत GST (आईGST) दोनों के लिए सच है. देबरॉय ने कहा कि जहां GST लागू होने के बाद टैक्स कलेक्शन की रफ्तार कम हो गई है, वहीं टैक्स रेट में लगातार कमी के बावजूद GST के तहत टैक्स कलेक्शन में उछाल आया है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें