GST: ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो पर मंत्री समूह (जीओएम) व्यापक रूप से तीनों आपूर्तियों पर 28 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (GST) लगाने पर सहमत है. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स की दर को लेकर गोवा असहमत है. गोवा ने इस मंच शुल्क पर 18 प्रतिशत का कर लगाने का सुझाव दिया है. कराधान की दर के साथ-साथ जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली बैठक में कुछ अन्य चीजों पर भी विचार किया जाएगा. बैठक में यह विचार होगा कि क्या टैक्स कुल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) या मंच द्वारा लिए जाने वाले शुल्क पर लगना चाहिए. इसके साथ ही जीएसटी परिषद इस बात पर भी चर्चा करेगी कि ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ या कसीनो में खिलाड़ियों द्वारा लगाए जाने वाले पूरे दांव पर कर लगाया जाना चाहिए. 

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सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद को यह निर्णय लेना है कि क्या ये तीन गतिविधियां सट्टेबाजी और जुए के तहत कार्रवाई योग्य दावे की श्रेणी में आती हैं. जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की अगुवाई वाले मंत्री समूह में आठ राज्यों...पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र के सदस्य हैं. 

राज्यों का क्या है रुख?

आठ राज्यों में से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का विचार था कि लगाए गए दांव के पूर्ण अंकित मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना चाहिए. हालांकि, गुजरात का विचार था कि मंच शुल्क पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए. मेघालय का विचार था कि कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ द्वारा लिए जाने वाले जीजीआर या मंच शुल्क या कमीशन पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए. इसने यह भी सुझाव दिया कि विजेताओं को भुगतान के लिए पुरस्कार राशि जमा करने के उद्देश्य से एक ‘एस्क्रो खाता’ बनाने की विशेष व्यवस्था से कर प्रशासन सुगम हो जाएगा. 

गोवा ने कसीनो के कुल गेमिंग राजस्व पर 28 प्रतिशत कर लगाने का सुझाव दिया. इसके साथ ही उसका कहना है कि प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स की ओर से लगाए गए मंच शुल्क/सेवा शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाना चाहिए. गोवा का यह भी सुझाव था कि रिवॉर्ड पूल में योगदान को आपूर्ति माना जाए और इसपर जीएसटी नहीं लगाया जाए. महाराष्ट्र और तेलंगाना का कहना था कि यदि जीएसटी परिषद यह निर्णय करती है कि तीनों गतिविधियां दांव और जुए की कार्रवाई योग्य दावों के तहत नहीं आती हैं, तो जीजीआर पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाना चाहिए. महाराष्ट्र ने कहा कि तीनों आपूर्तियों पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगना चाहिए. इनमें कौशल या अन्य किसी चीज के नाम पर अंतर नहीं किया जाना चाहिए.