GST e-Challan: बदला नियम, ₹100 करोड़ से ऊपर के टर्नओवर वाली कंपनियों को 7 दिनों के भीतर IRP पर डालना होगा ई-चालान
GST e-Challan: GSTN 1 मई से नया नियम लागू कर रही है, जिसमें 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को अपने इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस (ई-चालान) को 7 दिनों के अंदर चालान पंजीकरण पोर्टल (IRP) पर डालना होगा.
GST e-Challan: 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को अपने इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस (ई-चालान) को 7 दिनों के अंदर चालान पंजीकरण पोर्टल (IRP) पर डालना होगा. माल एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) ने गुरुवार को कहा कि यह व्यवस्था 1 मई से लागू होने जा रही है. इस तरह का चालान जारी होने के सात दिन के भीतर ऐसी कंपनियों को इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में आईआरपी पर ‘अपलोड’ करना होगा. अभी कंपनियां इस तरह के इन्वॉयस को वर्तमान तिथि पर डालती है. इसमें इन्वॉयस को जारी करने की तिथि से कोई लेना-देना नहीं होता.
7 दिन से पुराने इन्वॉयस रिपोर्ट नहीं कर पाएंगे
करदाताओं के लिए एक परामर्श में जीएसटी नेटवर्क ने कहा कि सरकार ने 100 करोड़ रुपये से या उससे अधिक के सालाना कारोबार वाले करदाताओं के लिए पुराने चालान को ई-इन्वॉयस आईआरपी पोर्टल पर ‘रिपोर्ट’ करने की समयसीमा तय करने का फैसला किया है. जीएसटीएन ने कहा कि समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इस श्रेणी के करदाताओं को सात दिन से अधिक पुराने इन्वॉयस को ‘रिपोर्ट’ करने की अनुमति नहीं होगी.
1 मई से लागू होगा नियम
करदाताओं को इसके लिए पर्याप्त समय देने के लिए इस नए फॉर्मेट को 1 मई, 2023 से क्रियान्वित किया जाएगा. उदाहरण देते हुए जीएसटीएन ने कहा कि यदि किसी चालान पर एक अप्रैल, 2023 की तिथि पड़ी है तो उसे 8 अप्रैल, 2023 के बाद डॉलने की अनुमति नहीं होगी. इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल में जो वैलिडेशन सिस्टम बिल्ट है, वो यूजर को इन 7 दिनों के विंडो के बाद इनवॉइस रिपोर्ट करने नहीं देगा. GSTN ने कहा कि इसीलिए जरूरी है कि बिजनेस इस नई टाइम लिमिट के सात दिनों के भीतर अपनी इनवॉयस डाल दें.
बैकडेटिंग नहीं हो पाएगी
जीएसटी के नियमों के मुताबिक, अगर किसी बिजनेस ने अगर इनवॉइस IRP पर नहीं डाला है तो इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं ले सकते. AMRG & Associates के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इस बदलाव के बाद बड़ी कंपनियां ई-इनवॉइस में बैकडेटिंग नहीं कर पाएंगी. बता दें कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के नियमों के तहत 1 अक्टूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपये से ऊपर के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए बिजनेस टू बिजनेस ट्रांजैक्शंस के लिए ई-इनवॉइसिंग अनिवार्य कर दी गई थी. इसे 1 जनवरी, 2021 से 100 करोड़ वाले कारोबारियों पर लागू कर दिया गया.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें