देश में आज जीएसटी लागू होने के 6 वर्ष पूरा होने को एक बड़ी सफलता बताते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साधुवाद दिया. कैट की तरफ से कहा गया कि एक देश - एक कर की उनकी अवधारणा को देश भर में व्यापक सफलता मिली है जो इस बात से साबित होता है की जीएसटी का राजस्व अब लगभग 1 लाख 60 हजार करोड़ प्रति माह रुपए हो गया है. इससे केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों के राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है. इस वृद्धि में देश भर के व्यापारी वर्ग का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है. जीएसटी में लगभग 17 प्रकार के अप्रत्यक्ष कर एवं लगभग 13 प्रकार के सेस समाहित होने से व्यापारी वर्ग को अनेक प्रकार के सरकारी विभागों से मुक्ति मिली है किंतु अभी भी जीएसटी को अत्यधिक सरल करने की जरूरत है. 

विशेष टास्क फोर्स का हो गठन

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को जीएसटी की सफलता पर बधाई देते हुए आग्रह किया की जीएसटी कर प्रणाली को स्थायी बनाने तथा वर्तमान में विद्यमान विसंगतियों को दूर कर एक अधिक सरल कर प्रणाली बनाने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए.

फर्जीवाड़े पर लगे लगाम

इसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अलावा व्यापारी एवं उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हों. यह टास्क फोर्स जहां जीएसटी कर प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने तथा व्यापारियों पर कानून एवं नियमों की बहुतायत पालना को कम करने के लिए सुझाव देगी वहीं दूसरी ओर कर का दायरा कैसे अधिक विकसित हो, फर्जी बिलिंग तथा ग़लत इनपुट लेने को रोकने के बारे में भी सुझाव दे. 

GST समन्वय समिति का गठन जरूरी

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा की देश में पिछले 6 वर्षों से लागू जीएसटी कर प्रणाली को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारों तथा व्यापारियों को अनेक प्रकार के अनुभव हुए हैं. इन्हीं अनुभवों के आधार पर इस कर प्रणाली की नये सिरे से समीक्षा की जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के विजन के आधार पर जीएसटी को एक ऐसी सरल एवं सुविधायुक्त कर प्रणाली के रूप में विकसित किया जाए जिसका पालन एक आम व्यापारी भी आसानी से कर सके. उन्होंने यह भी सुझाव दिया की देश में प्रत्येक जिला स्तर पर कलेक्टर कि अध्यक्षता में एक जीएसटी समन्वय समिति का गठन किया जाए जिसमें स्थानीय कर एवं अन्य अधिकारी तथा स्थानीय व्यापारी संगठनों के लोग शामिल हों.

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