जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) प्रकाश कुमार ने कहा कि माल और सेवाकर (GST) रिटर्न दाखिल करने के नए फॉर्म और ई-बिल से कारोबार सुगमता में मदद मिलेगी. इसके अलावा अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) के लिए आंकड़े जुटाना भी आसान होगा. जीएसटीएन, माल और सेवाकर के लिए तकनीकी मदद उपलब्ध कराती है. 

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कुमार ने कहा कि ई-बिल कारोबार सुगमता और GST के लिए आंकड़े जुटाने में आसानी की ओर एक कदम है. मानवीय स्तर पर आंकड़े जुटाने से गलत सूचना दर्ज होने और गड़बड़ी होने का डर रहता है.

कुमार ने कहा कि बिलों का डिजिटलीकरण करने में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) समूह देशों में उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएं (Economy) सबसे आगे हैं.

उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटलीकरण को करदाताओं की कारोबार प्रक्रिया का हिस्सा बनाने का और मानवीय स्तर पर आंकड़े जुटाने की व्यवस्था को दूर करने का लक्ष्य है. 

पीएचडी चैंबर के चेयरमैन एनके़ गुप्ता ने कहा कि ई-बिल एक नई व्यवस्था है. इसमें कारोबारों के बीच आपस (B2B) में होने वाला लेन-देन GSTN से ही सीधा प्रमाणित हो जाएगा. उन्होंने कहा कि यह डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.

इससे पहले वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार ने अनौपचारिक रूप से GST काउंसिल को साल में एक बार कर की दरों में बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है, न कि हर तीन महीनों पर क्योंकि मौजूदा व्यवस्था से सरकार और कारोबार दोनों में कुछ अनिश्चितता बनी रहती है.

सीतारमण ने कहा कि GST में जब आप एक निश्चित स्तर तक आ चुके हैं तो आवधिक बदलाव से समस्याएं पैदा होंगी, रिफंड समस्याएं आएंगी. इस प्रकार जब एक मद में कर की दर घटेगी तो उससे कई अन्य समस्याएं पैदा होंगी और उससे या तो रिफंड प्रभावित होगा या कारोबारी. वे सही तरीके से योजना नहीं बना पाएंगे कि उनको पूरे साल के कर के लिए कितनी राशि रखनी है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार केंद्र और राज्यों की सरकारें पूरे साल में जीएसटी से होने वाली आय का आकलन नहीं कर पाएंगी.