GST update: जीएसटी विभाग उन लोगों पर सख्ती करने जा रही है, जो अपने इनकम टैक्स की जानकारी देने में गड़बड़ी करते हैं. GST अधिकारी उन व्यवसायों के खिलाफ 1 जनवरी से सीधे वसूली की कार्रवाई कर सकते हैं, जो अपने मासिक रिटर्न GSTR-1 में अधिक बिक्री दिखाते हैं, लेकिन GSTR-3B में टैक्स पेमेंट करते समय इसकी कम रिपोर्ट दिखाते हैं.

फर्जी बिलिंग पर लगेगी लगाम

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सरकार के इस कदम से नकली बिलिंग करने वालों पर लगाम लगेगी. ऐसी शिकायत मिलती है कि विक्रेता GSTR-1 में अधिक बिक्री दिखाकर अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करते हैं, लेकिन अपने GST देयता को कम करने के लिए अपने GSTR-3B में कम बिक्री दिखाते हैं. 

क्या था पहले नियम

GST कानून के तहत अभी तक ऐसे बिजनेस जिनके GSTR-1 और GSTR-3B में अंतर पाया जाता था, उन्हें पहले कारण बताओ नोटिस जारी किए जाते थे और इसके बाद ही GSTR-1 और GSTR-3B में बेमेल के ऐसे मामलों में वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाती थी.

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फाइनेंस एक्ट से लाया गया नियम

सरकार इस साल की शुरुआत में संसद द्वारा पारित वित्त अधिनियम (Finance Act) के हिस्से के रूप में यह बदलाव लाई थी. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इसे 21 दिसंबर को 1 जनवरी, 2022 को अधिसूचित किया, जिस तारीख को जीएसटी कानून के तहत यह प्रावधान लागू होगा.

फाइनेंस एक्ट के माध्यम से, सरकार ने CGST अधिनियम की धारा 75 की उप-धारा (12) में एक स्पष्टीकरण डाला है, जो "self-assessed tax" को स्पष्ट करता है.

क्या कहते हैं नियम

GST अधिनियम की धारा 75 में कहा गया है कि जहां कोई स्व-मूल्यांकन कर (self-assessed tax) है, तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना वसूल किया जा सकता है और धारा 79 के तहत वसूली की कार्यवाही सीधे लागू की जा सकती है.

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि यह एक "कठोर प्रावधान" है जो GST विभाग को टैक्स वसूली की कार्यवाही शुरू करने के लिए विशेष अधिकार देता है.

व्यवसायों के लिए अब यह अनिवार्य होगा कि GSTR -3B और GSTR-1 एक दूसरे के साथ मेल खाएं और किसी भी कारण के बावजूद इसमें किसी भी तरह का अंतर नहीं होना चाहिए.