Tax rules for Gratuity: अगर आप नौकरी करते हैं तो ग्रैच्युटी के बारे में जरूर जानते होंगे. जब कोई एंप्लॉयी किसी संस्थान में पांच साल या उससे अधिक काम करता है तो एंप्लॉयर की तरफ से उसे ग्रैच्युटी दी जाती है. इसे टोकन ऑफ एप्रीसिएशन भी कहा जाता है. अगर कोई कर्मचारी केंद्र या राज्य सरकार के लिए काम करता है तो उसे मिलने वाली ग्रैच्युटी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है. हालांकि, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले एंप्लॉयी को जब टोकन ऑफ एप्रीसिएशन मिलता है तो इसके लिए Tax का नियम अलग है.

ग्रैच्युटी एक्ट 1972 किन संस्थानों पर लागू होता है?

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नियम के मुताबिक, अगर किसी संस्थान में प्रीवियस ईयर के दौरान किसी भी समय 10 एंप्लॉयी काम कर रहे थे तो वह पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट 1972 ( Payment of Gratuity Act 1972) के दायरे में आ जाता है. अब अगर किसी एंप्लॉयी को ग्रैच्युटी मिलती है तो Tax को लेकर नियम की कुछ शर्ते हैं.

1>> ग्रैच्युटी के रूप में जितनी राशि मिलती है.

2>> 20 लाख रुपए.

3>> लास्ट ड्राउन सैलरीXजितने सालों तक काम कियाX15/26.

मिनिमम अमाउंट टैक्स फ्री होगा

नियम के मुताबिक, ऊपर की तीन शर्तों के आधार पर जो मिनिमम अमाउंट होगा वह पूरी तरह ट्रैक्स फ्री होगा. कैलकुलेशन के लिए सैलरी में केवल बेसिक और डियरनेस अलाउंस को शामिल किया जाता है. इसके अलावा किसी तरह के अन्य कंपोनेंट को सैलरी में शामिल नहीं किया जाता है.

एडिशनल अमाउंट टोटल इनकम में जुड़ जाएगी

ऊपर की तीन शर्तों के आधार पर ग्रैच्युटी की कितनी राशि टैक्स फ्री होगी, उसे आसानी से पता लगाया जा सकता है. अगर ग्रैच्युटी के रूप उससे ज्यादा रकम मिलती है तो एडिशनल अमाउंट आपकी टोटल इनकम में शामिल हो जाती है. आप जिस टैक्स ब्रैकेट के अंतर्गत आते हैं, उस आधार पर वह टैक्सेबल हो जाता है.

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