Gratuity tax exemption limit: सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी (Gratuity)  की लिमिट में बड़ा बदलाव किया है. केंद्रीय कैबिनेट ने ग्रेच्युटी की टैक्स फ्री लिमिट (Gratuity tax exemption limit increased) को 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया है. अब इतने अमाउंट की ग्रेच्युटी पर टैक्स की कोई देनदारी नहीं होगी. ये तोहफा उस वक्त आया है, जब कर्मचारी लगातार अपने हक के लिए प्रोटेस्ट कर रहे हैं. अभी तक टैक्स फ्री ग्रेच्युटी (Tax free Gratuity) की लिमिट 20 लाख रुपए थी. बता दें, सरकार ने साल 2019 में टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की लिमिट 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की थी. लेकिन, आपको कैसे पता चलेगा कि आपकी सैलरी पर कितनी ग्रेच्युटी बन रही है और आप कितने अमाउंट के हकदार होंगे.

कैसे मिलती है ग्रेच्युटी?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नौकरीपेशा (Service Class) को 5 साल की नौकरी पर ग्रेच्‍युटी (Gratuity) मिलती है. पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत जिस कंपनी में 10 से ज्‍यादा कर्मचारी होते हैं, वहां के कर्मचारी ग्रेच्‍युटी के हकदार होते हैं. हालांकि, इसमें बदलाव हो सकता है. नए फॉर्मूले में 5 साल के बजाए 1 साल पर Gratuity का फायदा दिया जा सकता है. सरकार इस पर काम कर रही है. हो सकता है न्यू वेज कोड में इस पर कोई फैसला हो. अगर ऐसा होता है तो इससे प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र के करोड़ों कर्मचारियों को फायदा होगा.

कब मिलती है Gratuity?

ग्रेच्युटी (Gratuity) वो रकम होती है, जो कर्मचारी को संस्था या नियोक्ता (Employer) की तरफ से दी जाती है. एम्प्लॉयर के पास कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक नौकरी करना जरूरी है. आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या फिर वो रिटायर (Retirement) होता है. किसी वजह से कर्मचारी की मौत होने या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके नॉमिनी (Gratuity nominee) को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.

क्या है Gratuity की पात्रता?

ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों (Gratuity act 1972) के मुताबिक, ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम (gratuity pay) 20 लाख रुपए तक हो सकती है. ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है. इससे कम वक्त के लिए की गई नौकरी की स्थिति में कर्मचारी ग्रेच्युटी की पात्रता (gratuity eligibility) नहीं रखता. 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ने पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. हालांकि, अचानक कर्मचारी की मौत या दुर्घटना होने पर नौकरी छोड़ने की स्थिति में ये नियम लागू नहीं होता.

Gratuity पेमेंट एक्ट 1972

  • कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के मकसद से साल 1972 में 'ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट' (Gratuity payment act) बनाया गया था. 
  • कानून में माइनिंग क्षेत्र, फैक्ट्री, ऑयल फील्ड्स, फॉरेस्ट एरिया, प्राइवेट कंपनी और पोर्ट्स पर काम करने वाली उन तमाम संस्थाओं के कर्मचारियों को शामिल किया गया, जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. 
  • ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (Provident fund) बिल्कुल अलग-अलग होते हैं. 
  • ग्रेच्युटी में पूरा पैसा कंपनी (Employer) की तरफ से दिया जाता है. वहीं, भविष्य निधि में 12 फीसदी अंशदान (Contribution) कर्मचारी का भी होता है.

कौन सी संस्था एक्ट के दायरे में आती हैं?

कोई भी कंपनी, फैक्ट्री, संस्था जहां पिछले 12 महीने में किसी भी एक दिन 10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों ने काम किया है तो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट (Gratuity payment act) के अधीन आएगी. एक बार एक्ट के दायरे में आने पर कंपनी या संस्था को इसके दायरे में ही रहना होगा. अगर कभी कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम भी हो, तब भी वह एक्ट के दायरे में ही रहेगी.

दो कैटेगरी में तय होती है Gratuity

ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 (Gratuity payment act) में कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम का फॉर्मूला तय करने के लिए कर्मचारियों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी में वो कर्मचारी आते हैं, जो इस एक्ट के दायरे में आते हैं, वहीं दूसरे में एक्ट से बाहर वाले कर्मचारी आते हैं. निजी और सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले दोनों ही तरह के कर्मचारी इन दो कैटेगरी में कवर हो जाते हैं.

कैटेगरी 1-

वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में आते हैं.

कैटेगरी 2-

वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में नहीं आते.

ग्रेच्युटी की रकम पता करने का फॉर्मूला (एक्ट में आने वाले कर्मचारियों के लिए)

आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/26

आखिरी वेतन-

मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.

नौकरी की अवधि-

नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर की नौकरी को पूरा साल माना जाएगा, जैसे 6 साल 8 महीने नौकरी करने की स्थिति में उसे 7 साल माना जाएगा.

उदाहरण-

मान लीजिए किसी ने एक कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.

15000x7x15/26= 60,577 रुपए

ग्रेच्युटी की रकम पता करने का फॉर्मूला (Gratuity formula) (एक्ट में नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए)

आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/30

आखिरी वेतन-

मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). फॉर्मूले में महीने में 30 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.

नौकरी की अवधि-

इस तरह के कर्मचारियों के लिए नौकरी के आखिरी साल में 12 महीने से कम की अवधि को नहीं जोड़ा जाता है. जैसे अगर कर्मचारी ने 6 साल 8 महीने काम किया है तो उसे 6 साल ही माना जाएगा.