सिर्फ 30 दिन और Gratuity जेब के अंदर, आपकी कंपनी आपको कितना पैसा देगी? कैसे पता करें अपनी रकम
Gratuity की रकम को लेकर अक्सर लोगों के मन में कन्फ्यूजन होता है. नौकरी छोड़ने, रिटायर होने या फिर कर्मचारी की मृत्यु और दुर्घटना की स्थिति में ग्रेच्युटी का भुगतान होता है. हालांकि, इसके लिए कुछ नियम और शर्तें हैं.
Gratuity Calculation: नौकरीपेशा को नौकरी के दौरान पैसे के लिहाज से कई बेनिफिट्स मिलते हैं. इनमें से एक है ग्रेच्युटी. Gratuity वो रकम होती है जो कर्मचारी को नियोक्ता (Employer) की तरफ से मिलती है. एम्प्लॉयर के पास कर्मचारी को कम से कम 5 साल नौकरी करना जरूरी है. आमतौर पर ये रकम तब मिलती है, जब कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या उसे नौकरी से हटाया जाता है या फिर वो रिटायर होता है. कर्मचारी की मृत्यु होने या दुर्घटना की वजह से नौकरी छोड़ने की स्थिति में उसे या उसके नॉमिनी को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
कैसे पता करेंगे आपको मिलेगी ग्रेच्युटी या नहीं?
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों के मुताबिक, ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है. ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है. इससे कम वक्त के लिए की गई नौकरी की स्थिति में कर्मचारी ग्रेच्युटी की पात्रता (Eligibility) नहीं रखता. 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ने पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. हालांकि, अचानक कर्मचारी की मौत या दुर्घटना होने पर नौकरी छोड़ने की स्थिति में ये नियम लागू नहीं होता.
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के नियम और शर्तें क्या हैं?
- कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने के मकसद से साल 1972 में 'ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट' बनाया गया था.
- कानून में माइनिंग क्षेत्र, फैक्ट्री, ऑयल फील्ड्स, फॉरेस्ट एरिया, प्राइवेट कंपनी और पोर्ट्स पर काम करने वाली उन तमाम संस्थाओं के कर्मचारियों को शामिल किया गया, जहां 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं.
- ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (Provident fund) बिल्कुल अलग-अलग होते हैं.
- ग्रेच्युटी में पूरा पैसा कंपनी (Employer) की तरफ से दिया जाता है. वहीं, भविष्य निधि में 12 फीसदी अंशदान (Contribution) कर्मचारी का भी होता है.
किन एम्प्लॉयर्स पर लागू होता है ग्रेच्युटी का नियम?
कोई भी कंपनी, फैक्ट्री, संस्था जहां पिछले 12 महीने में किसी भी एक दिन 10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों ने काम किया है तो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के अधीन आएगी. एक बार एक्ट के दायरे में आने पर कंपनी या संस्था को इसके दायरे में ही रहना होगा. अगर कभी कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम भी हो, तब भी वह एक्ट के दायरे में ही रहेगी.
कितने दिन में आता है ग्रेच्युटी का पैसा?
नौकरी छोड़ने के बाद ग्रेच्युटी निकालने के लिए अप्लाई करना होता है. इसके लिए आप अपने एम्प्लॉयर के पास आवेदन करना होगा. नियम के मुताबिक, अप्लाई करने के 30 दिन के अन्दर पैसा आपको अकाउंट में पहुंच जाएगा. अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे ग्रेच्युटी राशि पर ब्याज का भुगतान करना होगा. अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उसे ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम,1972 (Payment of Gratuity Act,1972) के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा, जिसमें 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा का प्रावधान है.
किस कैटेगरी के हिसाब से मिलती है Gratuity?
ग्रेच्युटी की रकम का फॉर्मूला तय करने के लिए कर्मचारियों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी में वो कर्मचारी आते हैं, जो इस एक्ट के दायरे में आते हैं. वहीं, दूसरे में एक्ट से बाहर वाले कर्मचारी आते हैं. निजी और सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले दोनों ही तरह के कर्मचारी इन दो कैटेगरी में कवर होते हैं.
ग्रेच्युटी का फॉर्मूला (एक्ट में आने वाले कर्मचारियों के लिए)
आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/26
आखिरी वेतन- मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर है तो). इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्य दिवस (working days) मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.
नौकरी की अवधि- नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर की नौकरी को पूरा साल माना जाएगा, जैसे 6 साल 8 महीने नौकरी करने की स्थिति में उसे 7 साल माना जाएगा.
उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं किसी एम्प्लॉई ने कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x7x15/26= 60,577 रुपए
ग्रेच्युटी का फॉर्मूला (एक्ट में नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए)
आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/30
आखिरी वेतन- मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). फॉर्मूले में महीने में 30 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.
नौकरी की अवधि- इस तरह के कर्मचारियों के लिए नौकरी के आखिरी साल में 12 महीने से कम की अवधि को नहीं जोड़ा जाता है. जैसे अगर कर्मचारी ने 6 साल 8 महीने काम किया है तो उसे 6 साल ही माना जाएगा.
उदाहरण के तौर पर अगर किसी एम्प्लॉई ने कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ये कंपनी एक्ट के दायरे में नहीं आती, ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x6x15/30= 45,000 रुपए (एक्ट में नहीं आने वाले को एक्ट में आने वाले कर्मचारी के मुकाबले 15,577 रुपए कम मिलेंगे)
मृत्यु होने की स्थिति में कैसे होगी ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन
ग्रेच्युटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर किया जाता है, अधिकतम 20 लाख रुपए तक की रकम दी जा सकती है.
नौकरी की अवधि | ग्रेच्युटी की दर |
एक साल से कम | मूल वेतन का दोगुना |
एक साल से ज्यादा लेकिन 5 साल से कम | मूल वेतन का छह गुना |
5 साल से ज्यादा लेकिन 11 साल से कम | मूल वेतन का 12 गुना |
11 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम | मूल वेतन का 20 गुना |
20 साल से ज्यादा नौकरी | हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा |