ग्रेच्‍युटी कंपनी की तरफ से कर्मचारी को दिया जाने वाला एक रिवार्ड है, जो उसे लगातार कंपनी में सेवा देने के बदले दिया जाता है. आमतौर पर माना जाता है कि पांच साल पूरे होने के बाद ही आप ग्रेच्‍युटी के हकदार बनते हैं. ग्रेच्युटी कम से कम कितनी मिलेगी, इसे तय करने के लिए तो फॉर्मूला है. लेकिन कंपनी चाहे तो तय फॉर्मूले से अधिक राशि भी अपने कर्मचारी को दे सकती है. हालांकि सरकारी नियम के मुताबिक 20 लाख से ज्‍यादा ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारी को नहीं दी जा सकती. लेकिन ऐसे में तमाम लोगों का ये सवाल होता है कि अगर उनकी नौकरी पूरे पांच साल नहीं है, इससे कुछ कम है, तो क्‍या वो ग्रेच्‍युटी पाने के हकदार हैं? आइए आपको बताते हैं इस बारे में.

क्‍या कहता है ग्रेच्‍युटी एक्‍ट

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ग्रेच्‍युटी एक्‍ट के सेक्‍शन 2A के अनुसार अगर आप नौकरी के 5 साल पूरे नहीं कर पाए हैं, तो भी आप ग्रेच्‍युटी पाने के हकदार हो सकते हैं. ग्रेच्‍युटी एक्‍ट के सेक्‍शन 2A में बताया गया है कि भूमिगत खदानों में काम करने वाले कर्मचारी किसी कंपनी में लगातार 4 साल और 190 दिन काम कर लेते हैं, तो वे ग्रेच्‍युटी पाने के हकदार माने जाते हैं. वहीं अन्‍य संस्‍थानों में काम करने वाले कर्मचारी अगर नौकरी के 4 साल और 240 दिन यानी 4 साल 8 महीने पूरे कर लेते हैं, तो वो ग्रेच्‍युटी पाने के अधिकारी हो जाते हैं. ऐसे में इस पीरियड को पूरे 5 साल मान लिया जाता है.

नोटिस पीरियड भी होता कैलकुलेट

ये बात भी आपके लिए जानना जरूरी है कि इस अ‍वधि में आपके नोटिस पीरियड को भी काउंट किया जाता है. यानी अगर कोई कर्मचारी नोटिस पीरियड के साथ नौकरी के 4 साल और 240 दिन पूरे कर रहा है, तो वो ग्रेच्‍युटी पाने का राइट रखता है. नोटिस पीरियड को भी लगातार सर्विस में गिना जाता है.

इस फॉर्मूले से कैलकुलेट होती है ग्रेच्‍युटी

ग्रेच्‍युटी को कैलकुलेट करने का एक फॉर्मूला है - (अंतिम सैलरी) x (कंपनी में कितने साल काम किया) x (15/26). अंतिम सैलरी से मतलब, आपकी पिछले 10 महीने की सैलरी के औसत से है. इस सैलरी में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और कमीशन को शामिल किया जाता है. महीने में रविवार के 4 दिन वीक ऑफ होने के कारण 26 दिनों को गिना जाता है और 15 दिन के आधार पर ग्रेच्यु​टी का कैलकुलेशन होता है.