Government Scheme for Retirement Fund: नौकरी से रिटायर होने के बाद जीवन बिना दिक्‍कत-परेशानी चलता रहे, इसके लिए जेब में पैसे होने जरूरी हैं. इसके लिए दो बातें जरूरी हैं. पहली, आपके पास एक अच्‍छा-खासा रिटायरमेंट फंड होना चाहिए और दूसरी यह कि आपको रेगुलर इनकम भी होती रहनी चाहिए. एक अच्‍छा-खासा रिटायरमेंट कॉपर्स बनाने के लिए जरूरी है कि हमें नौकरी शुरू करने के साथ ही रिटायरमेंट प्‍लानिंग शुरू कर देनी चाहिए. रिटायरमेंट के मकसद निवेश के लिए दो सरकारी स्‍कीम्‍स पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) नौकरीपेशा लोगों के बीच काफी पॉपुलर है. PPF में कोई भी निवेश कर सकता है. वहीं, सरकार की तरफ से पेंशन सोसायटी को डेवलप करने के मकसद नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) चलाई जा रही है. जानते हैं इनकी डीटेल...

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public provident fund)

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PPF अकाउंट में हर साल मैक्सिमम 1,50,000 रुपये जमा कर सकते हैं. PPF में निवेश पर इनकम टैक्‍स के सेक्शन 80C के तहत टैक्‍स डिडक्शन मिलती है. इसमें मैच्‍योरिटी पर मिलने वाला अमाउंट और ब्‍याज भी टैक्‍स फ्री होता है. PPF का मैच्‍योरिटी पीरियड 15 साल है. हालांकि, 7 साल बाद इसमें प्री-मैच्‍योर विद्ड्रॉल किया जा सकता है. पीपीएफ पर अभी 7.1 फीसदी सालाना ब्‍याज मिल रहा है. इसमें कम्‍पाउंडिग सालाना होती है.

PPF का रिटर्न  

PPF 15 साल की सेविंग स्कीम है. इस पर ब्याज दर सरकार की ओर से हर तिमाही में तय होती है. फिलहाल ब्याज दर 7.1 फीसदी है. अगर आप हर साल 1.5 लाख पीपीएफ में जमा करते हैं, तो 15 साल के बाद 7.1 फीसदी की ब्याज दर से यह 40.68 लाख रुपये हो जाएगी. मैच्योरिटी की यह रकम टैक्स फ्री है. इसके बाद पीपीएफ को पांच साल के ब्लॉक में आगे भी जारी रखा जा सकता है. महंगाई और पीपीएफ के प्री-टैक्स रिटर्न को देखें तो अभी भी यह बेहतरीन निवेश इंस्टूमेंट है. पीपीएफ लंबी अवधि में रिटायरमेंट फंड बनाने का अच्‍छा तरीका है. हालांकि, इसमें मंथली पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है. 

नेशनल पेंशन सिस्टम (National Pension System) 

NPS को खासतौर से रिटायरमेंट के बाद की फाइनेंशियल जरूरतों को ध्‍यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इसमें 18-70 साल की उम्र तक का कोई भी व्‍यक्ति निवेश कर सकता है. NPS में जमा रकम को निवेश करने का जिम्मा PFRDA की ओर से रजिस्टर्ड पेंशन फंड मैनेजर्स को दिया जाता है. ये आपके निवेश को इक्विटी, गवर्नमेंट सिक्युरिटीज और नॉन गवर्नमेंट सिक्युरिटीज के अलावा फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं.

मैच्योरिटी पर कुल कॉपर्स का मिनिमम 40 फीसदी एन्‍युटी खरीदनी होती है. एन्‍युटी की रकम से ही इंश्‍योरेंस कंपनी जीवन भर पेंशन देती है. हालांकि, यह पेंशन टैक्स दायरे में आता है. पीपीएफ की तरह इसमें रिटर्न फिक्स नहीं होता है. लेकिन यह फंड ओर से इक्विटी और डेट में निवेश से हासिल होने वाले रिटर्न पर निर्भर करता है.

दरअसल, एन्युटी आपके और इंश्योरेंस कंपनी के बीच एक कांट्रैक्ट होता है. इस कांट्रैक्ट के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कम से कम 40 फीसदी रकम का एन्युटी खरीदना जरूरी होता है. यह रकम जितनी अधिक होगी, पेंशन की रकम उतनी ही अधिक होगी. एन्युटी के तहत निवेश की गई रकम रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलती है और एनपीएस की शेष राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है.

 

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NPS पर टैक्स छूट

NPS के तहत इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 50 हजार रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है. अगर आप सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की लिमिट पूरी कर चुके हैं, तो एनपीएस आपको एक्स्ट्रा टैक्स सेविंग्स में भी मदद कर सकता है. इस योजना की मैच्योरिटी पर 60 फीसदी तक रकम निकालने पर टैक्स नहीं लगता है.

NPS, PPF का बेसिक कैरेक्‍टर

NPS और PPF में निवेश सिर्फ टैक्स सेविंग को ध्यान में रखकर नहीं करना चाहिए. पीपीएफ को लॉन्‍ग टर्म की फाइनेंशियल जरूरतों के लिए चुन सकते हैं क्योंकि इसमें टैक्स सेविंग होती है. वहीं, एनपीएस एक वेल्थ क्रिएशन इंस्ट्रूमेंट की तरह काम करता है. इसमें इक्विटी और डेट में निवेश से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद होती है.

 

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां किसी भी स्‍कीम में निवेश की सलाह नहीं दी गई है. सिर्फ स्‍कीम्‍स की डीटेल दी गई है. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)